देश के पहाड़ी इलाकों में मची तबाही, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, केंद्र सरकार ने कही ये बात
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सभी 13 हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हिल स्टेशनों की वहन क्षमता का तुरंत आकलन करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया है। एक नये पैनल बनाने का प्रस्ताव रखा है जो राज्यों द्वारा प्रस्तावित कार्य योजनाओं का मूल्यांकन करेगा। वहन क्षमता हिल स्टेशनों की अधिकतम जनसंख्या आकार है जो पर्यावरण, वन और जलवायु को बिना नुकसान पहुंचाए जारी रख सकता है। केंद्र का यह हलफनामा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी मॉनसूनी बारिश के कहर के चार सप्ताह बाद आया है। मॉनसूनी बारिश के बाद हुए भूस्खलन से दोनों पर्वतीय राज्यों में कई इमारत ढह गई और 103 लोग काल के ग्रास में समां गए थे।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा कि पर्वतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए यह जरूरी है कि वे पारिस्थितिकी तंत्र के और अधिक क्षरण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को बताएं और अपनी कार्य योजनाओं का प्रस्ताव दें, जिसे जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक के संचालन वाली तकनीकी समिति द्वारा देखा जा सके।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हलफनामे में कहा, "यह जरूरी होगा कि स्थानीय अधिकारियों की मदद से प्रत्येक हिल स्टेशन के तथ्यात्मक पहलुओं को विशेष रूप से पहचाना और एकत्र किया जाए।" गौर हो कि केंद्र का हलफनामा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी मानसूनी बारिश के कहर के लगभग चार सप्ताह बाद आया है, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन, इमारत ढहने और सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान होने से दोनों राज्यों में कम से कम 103 लोगों की मौत हो गई।
13 हिमालयी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
शीर्ष अदालत से 13 राज्यों को नए सिरे से आकलन करने के लिए उचित निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए केंद्र ने कहा कि राज्य अपने हिल स्टेशनों, शहरों के संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यावरण की भार वहन क्षमता के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए अपने संबंधित मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में समितियां गठित कर सकते हैं।
इसमें बताया गया है कि पर्वतीय क्षेत्रों की वहन क्षमता का आकलन करने के लिए जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा तैयार दिशानिर्देश जनवरी 2020 में 13 राज्यों के बीच प्रसारित किए गए थे और 19 मई 2023 को राज्यों को भी भेजे गए थे। उनसे इसका अध्ययन करने और यथाशीघ्र कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।