कांग्रेस में फिर मचा घमासान, इस कारण आनंद शर्मा हुए नाराज, मनाने की हो रही कोशिश
नई दिल्ली: कांग्रेस में घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा नाराज हैं और वह पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस में हिस्सा लेने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी नेता ने कहा कि राज्यसभा में कांग्रेस को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलने के लिए 109 मिनट दिया गया था। इसमें से करीब एक घंटे का वक्त विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ले लिया। इससे नाराज हो गए। हालांकि, उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि खड़गे को आधा घंटे के अंदर अपनी बात रखने के लिए कहा गया था। जबकि आनंद शर्मा को 25 मिनट में अपनी बात रखनी थी। ताकि, बाकी समय में कुछ और पार्टी सांसद अपनी बात रख सकें। पर खड़गे करीब एक घंटे तक अभिभाषण पर बहस में बोलते रहे। संसद में रणनीति तय करने के लिए हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि सदन के अंदर तय समय के अंदर ज्यादा से ज्यादा लोगों को बोलने का मौका मिलना चाहिए।
दरअसल, आनंद शर्मा पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं। उन्होंने पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी में सभी स्तर पर चुनाव कराने की मांग की थी। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान से नवाजे जाने पर भी असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी को घेरा था। हालांकि, पार्टी के अंदर कई नेताओं का कहना है कि हो सकता है यह सब जानबूझकर भी किया हो।
राज्यसभा में क्या-क्या बोले खड़गे?
सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपना ही गुणगान कर रही है उसे आम लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने दावा कि न तो करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद गंगा साफ हुई, न ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां आतंकी हिंसा में कमी आई उल्टे देश भर में महंगाई और बेरोजगारी ने कोविड के कारण पहले से ही परेशान आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए सदन में विपक्ष के नेता खड़गे ने दावा किया कि राष्ट्रपति का यह अभिभाषण न तो कोई नीतिगत दस्तावेज है और न ही उसमें कोई दृष्टिकोण है। इसमें सरकार ने केवल अपनी उपलब्धियों का ही बखान किया है। जनता के बुनियादी मसले जैसे महंगाई, बेरोजगारी, अनुसूचित जाति जनजाति समुदाय के लोगों के साथ ज्यादतियां आदि यथावत हैं जिनका इसमें कोई जिक्र ही नहीं है।
नौकरी के वादे पर सरकार को घेरा
खड़गे ने बजट में अगले पांच साल में 60 लाख नई नौकरियां देने के ऐलान पर केंद्र को घेरा। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में आपने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, उसका क्या हुआ? उन्होंने कहा, अब अगले पांच साल में 60 लाख नई नौकरियों का वादा कर रहे हैं। खड़गे ने शायराना अंदाज में कहा, 'मैं कितनी बार लुटा हूं… इसका हिसाब तो दो। जो दे रहे हैं फल तुम्हें पके पकाए हुए। जो दे रहे हैं पेड़ तुम्हें लगे लगाए हुए।'