यहां की राज्य सरकार को गिराने हुई थी 1 करोड़ की डील, तीन विधायक और दो पत्रकार थे शामिल
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झारखंड में सरकार गिराने की साजिश में गिरफ्तार आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि साजिश में झारखंड के तीन विधायक, दो पत्रकार व बिचौलिए शामिल थे। दिल्ली में तीनों विधायकों से लेनदेन की डील भी हुई थी। एक करोड़ एडवांस का वादा भी किया गया था, नहीं देने पर विधायक रांची लौट गए थे। डील में महाराष्ट्र के दो नेता चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह शामिल थे। गिरफ्तार अभिषेक , अमित व निवारण ने दोनों को महाराष्ट्र का भाजपा विधायक बताया था लेकिन वहां के विधायकों की सूची में इनका नाम नहीं है।
अभिषेक ने पुलिस को बताया कि इसी मामले में अमित ने 15 जुलाई को इंडिगो का टिकट भेजा था। महाराष्ट्र के एक नेता जयकुमार वानखेड़े ने इसकी बुकिंग कर अमित सिंह को भेजा था। अभिषेक ने बताया है कि 15 जुलाई को दिल्ली पहुंचने पर वहां एयरपोर्ट पर दो एसयूवी लगी हुई थी। एक से तीनों स्थानीय विधायक होटल में गए। बाकी तीनों को जयकुमार का गार्ड अभिषेक दूबे लेकर होटल पहुंचा। यहां चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह पहुंचे। वे यहां से तीनों स्थानीय विधायकों को लेकर एक गाड़ी में, जबकि अन्य लोग दूसरी गाड़ी से कई बड़े नेताओं के आवास पर गए। यहां तकरीबन पंद्रह मिनट की मुलाकात के बाद राज्य के तीनों विधायक झारखंड भवन लौट आए। अभिषेक ने बताया है कि 16 जुलाई को भी तीनों स्थानीय विधायक दिल्ली में बड़े नेताओं से मिले। उन्हें एक करोड़ एडवांस देने का वादा किया गया था, लेकिन एडवांस नहीं मिलने पर वे नाराज हो गए और उसी दिन दोपहर 2.30 बजे की फ्लाइट से रांची लौट गए।
गिरफ्तार आरोपियों के मुताबिक, दिल्ली से लौटने के बाद भी जयप्रकाश वानखड़े लगातार विधायकों व उनसे संपर्क में रहे। 21 जुलाई को वानखड़े अपने साथ मोहित भारतीय को लाए। इसके बाद होटल ली लैक से बारी बारी से कई स्थानीय विधायकों से संपर्क किया। जयकुमार, मोहित के अलावा अलग अलग कमरों में आशुतोष ठक्कर और अमित कुमार यादव नाम के व्यक्ति भी थे। होटल का कमरा 407, 307, 310, 611 बुक था। रांची में दो पत्रकार कुंदन सिंह और संतोष कुमार द्वारा भी दो अलग अलग विधायकों से संपर्क की बात सामने आयी है। अभिषेक ने स्वीकार किया है कि सदन में वोटिंग कराकर सरकार को गिराने की साजिश रची गई थी। रविवार को गिरफ्तार आरोपियों के साथ विधायकों की तस्वीर वायरल होती रही। एक में कांग्रेस विधायक विक्सल कोंगाड़ी एक आरोपी अमित सिंह के साथ हैं। हालांकि विक्सल ने अमित से किसी परिचय को खारिज किया और दावा किया कि उन्हें भी मंत्री पद का ऑफर था। इसकी जानकारी उन्होंने सीएम और पार्टी के प्रदेश प्रभारी को दी थी।
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने पूरे प्रकरण को झारखंड पुलिस की साजिश का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि सरकार अगर एसआईटी जांच नहीं कराती है तो अगली सरकार कराएगी। दोषी पाए जाने वाले पुलिस अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी नहीं छोड़ा जाएगा। मरांडी ने पुलिस अफसरों को झामुमो का टूल बनने की जगह कानून का हिफाजत करने की नसीहत दी।इसे जल्दबाजी में हुई चूक कहे या कुछ और लेकिन रांची पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर से लेकर धारा लगाने में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। मसलन एफआईआर में राजद्रोह का जिक्र किया गया है लेकिन इसकी धारा नहीं लगाई गई है। इसी तरह पीसी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में आईओ डीएसपी स्तर के अधिकारी होते है लेकिन इसमें प्रशिक्षु दारोगा को बना दिया गया है।