एक ही गोत्र में शादी करने की परंपरा नहीं, प्रेमी जोड़े को ग्रामीणों ने सुनाया ये फरमान
शिकायत लेकर थाने पहुंचे पति-पत्नी
झारखंड के खूंटी जिले में रहने वाले जयमसीह गुड़िया और अर्चना गुड़िया पिछले एक साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। इनका छह माह का बच्चा भी है। दोनों के परिवार वालों को इससे कोई आपत्ति नहीं है, परंतु समाज इसे स्वीकार नहीं कर रहा है। जिले के तोरपा प्रखंड की तपकरा पंचायत के बेहराटोली गांव में बैठक कर समाज ने इन्हें सामाजिक बहिष्कार की सजा सुनाई है। वहीं दोनों के परिजनों का भी सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
गांव के लोग न इनसे बातचीत करते हैं और न इन्हें किसी सामाजिक कार्यक्रम में बुलाते हैं। इनके खेत खलिहान में काम करने नहीं जाते हैं। समाज की ओर से दोनों को अलग होने की चेतावनी दी जा रही है। इधर मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी मिलते ही तपकरा थाना प्रभारी विक्की ठाकुर शनिवार की शाम जयमसीह गुड़िया को थाना बुलाकर मामले की जानकारी ली। गेंदटोली निवासी जयमसीह गुड़िया और अर्चना गुड़िया ने कहा कि जून 2020 से दोनों साथ रह रहे हैं। चर्च और समाज में शादी की इजाजत नहीं मिलने के कारण दोनों ने आपस में शादी कर ली है। दोनों के परिवार वाले शादी से खुश हैं। समाज उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहा है। तीन-चार बार बैठक में बुलाकर उन्हें अलग होने के लिए दबाव डाला जा रहा है। हम लोगों के परिजनों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। अर्चना गुड़िया ने कहा कि हम अलग नहीं हो सकते हैं। समाज का ताना सुन-सुनकर कभी मन में विचार आता है कि आत्महत्या कर लें लेकिन बच्चे और पति के मोह के कारण ऐसा नहीं कर पाती हूं।
गांव के मुंडा नवीन ने कहा कि आदिवासी समाज में एक गोत्र में शादी करने की परंपरा नहीं है, समाज इसे स्वीकार नहीं करता है। गांव में बैठक कर दोनों को अलग हो जाने के लिए समझाया गया, परंतु नहीं माने। इसके बाद सर्वसम्मति से सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है। यदि दोनों अलग हो जाते हैं तो सामाजिक बहिष्कार की सजा समाप्त कर दी जाएगी। दोनों को कभी प्रताड़ित नहीं किया गया है।