लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के भाजपा पर अचानक तीखे हमले से विपक्षी दलों में कोई उत्साह नहीं हैं। विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को पटना में बैठक करेंगे। समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता ने कहा, भाजपा के खिलाफ उनके गुस्से को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। वो कभी ठंडा, कभी गर्म रहने के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने कहा कि बसपा का बीजेपी पर हमला हाल ही में मीडिया द्वारा उजागर किए गए 216 नोएडा फ्लैट घोटाले का नतीजा हो सकता है। बुधवार को पार्टी की बैठक में मायावती ने कहा था कि भाजपा की राजनीति 'लव जिहाद', 'लैंड जिहाद', 'मजारों' को ढहाना, धर्म परिवर्तन, 'मदरसों' की जांच, 'हिजाब', बुलडोजर और नफरत जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा था, ''दलितों और एक विशिष्ट समुदाय के खिलाफ सरकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार उचित नहीं है।'' बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यू) के विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने भी स्पष्ट किया कि अभी तक उत्तर प्रदेश से विपक्ष की बैठक के लिए केवल सपा और रालोद को ही आमंत्रित किया गया है।
त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है और विभिन्न राज्यों में कई दलों के साथ गठबंधन किया है और निश्चित रूप से यह पटना बैठक का हिस्सा है। फिर भी, बसपा के साथ गठबंधन करने और इसे संयुक्त विपक्ष की रणनीति का हिस्सा बनाने का निर्णय एक संयुक्त निर्णय होगा, अकेले किसी एक पार्टी का नहीं।'' हाल के दिनों में बसपा नेताओं के बयान विपक्षी एकता के लिए ठीक नहीं रहे हैं और वास्तव में, समय-समय पर बसपा नेतृत्व कांग्रेस और सपा पर निशाना साधता रहा है। उन्होंने 23 जून की बैठक में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और इसलिए उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, केवल उन्हीं पार्टियों या नेताओं को बैठक का हिस्सा बनना है जिन्होंने भाजपा से मुकाबला करने का संकल्प दिखाया है। उन्होंने कहा, आज वह भले ही कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपना रही हों, लेकिन फिलहाल इसकी संभावना बहुत कम है कि वह विपक्षी एकता का हिस्सा बनेंगी। जहां तक कांग्रेस की बात है, वह एक बड़ी पार्टी है, जिसका कई दलों के साथ गठबंधन है, हमारे साथ भी है। इसलिए, बसपा के साथ कोई भी संभावित समझौता एक साझा समझौता होगा।''