भोपाल से सटे गांवों में नहीं हैं स्वास्थ सुविधाएं, 4 गांव में एक ही स्वास्थ्य केंद्रों पर लटके हुए हैं ताले

4 गांव में एक ही स्वास्थ्य केंद्रों पर लटके हुए हैं ताले

Update: 2021-07-09 10:36 GMT

कोरोना की संभावित तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए सरकार की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं. कोरोना की दूसरी लहर के समय बने हालातों के बाद अब देश में हर जगह स्वास्थ सुविधा को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है कि इन्हें कैसे बेहतर किया जाए. केंद्र सरकार ने स्वास्थ सेवाओं को लेकर करीब 23 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला किया है. आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी. इस सवाल के जवाब के लिए TV9 ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कुछ किलोमीटर दूर ही स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल की है.

4 गांव में एक ही स्वास्थ्य केंद्र जिस पर भी लगा ताला
भोपाल से 30 किलोमीटर दूर बसे जमुनिया कलां गांव की अगर बात करें तो यहां पंचायत पर 4 गांव मिलाकर एक‌ ही स्वास्थ्य केंद्र है. यानि जमुनिया कलां गांव, दंगरोली गांव, लालपुरा गांव और वनखेडी गांव के लोगों को एक ही स्वास्थ्य केंद्र का सहारा है. इन गांवों की आबादी करीब 2.5 हजार है. अगर हम इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत की बात करें तो बीते 2 साल से इस स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग जर्जर हुई पड़ी है. बिल्डिंग गिरने के डर से यहां ताला लगा दिया गया है और यहां अब न कोई स्वास्थ्य कर्मचारी है और न हू कोई डॉक्टर.
आलम ये हैं कि इन 4 गांवों के लोग अब स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भोपाल जाते हैं. गांव वालों का कहना है कि सालों से यहां कोई डॉक्टर नहीं है. गांव वालों का कहना है कि बिल्डिंग के जीर्णोद्धार ‌का जो पैसा आया उसे सरपंच और अधिकारियों ने अपने दफ्तर बनाने में खर्च कर दिया है.
आंगनबाड़ी के बाहर पड़ा कचरा और गोबर
जिस आंगनबाड़ी में टीकाकरण और दूसरे काम होते हैं उसके बाहर गोबर और कचरा पड़ा रहता है. जिसको लेकर गांव के सरपंच मुकेश मीणा का कहना है कि 2 साल से हम नया स्वास्थ्य केंद्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एक एएनएम मैडम भोपाल से आती हैं. वो जब तक यहीं रहीं तब तक मेंटेनेंस होता रहा, लेकिन वो भी बंद हो गया है. फिलहाल जरूरत पड़ने पर आंगनबाड़ी भवन में टीकाकरण और अन्य सुविधाएं मिलती हैं.
स्वास्थ्य केंद्र की केवल बिल्डिंग लेकिन डॉक्टर नहीं
सांकल खेडी पंचायत की अगर बात करें तो इस पंचायत में 4 गांव हैं. इन गांवों के नाम हैं टांडा, सांकल, शांतिनगर और पडरिया. इस पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र तो है,लेकिन उस पर भी ताला लगा हुआ है. करीब 2 हजार की आबादी की इस पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर एक सुंदर भवन बना हुआ है. जिसका उद्घाटन क्षेत्र‌ के स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने फरवरी महीने में किया था, लेकिन यहां न तो कोई डॉक्टर है और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मचारी. अगर इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई है तो वो हैं कुछ घोड़े और अन्य जानवर. जो बाउंड्री के बाहर घास चरते रहते हैं.
स्थानीय गांव वालों का कहना है कि 7-8 दिन में कभी-कभी स्वास्थ्यकर्मी और एएनएम आते हैं. ऐसे में सभी लोग इलाज के लिए भोपाल या किसी निजी अस्पताल ही जाते हैं.


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