फिर दिखा लाशों का अंबार, नदी किनारे रेत में दफनाई जा रही शव

Update: 2022-05-18 02:21 GMT

फोटो  - आज तक 

यूपी। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में एक बार फिर से गंगा नदी के किनारे रेत में बड़ी तादाद में शवों को दफनाया जा रहा है. फाफामऊ घाट की ताजा तस्वीरों ने एक बार फिर से कोरोनाकाल की याद दिला दी है. हालांकि यहां शव दफनाने की परंपरा पहले से ही रही है. लेकिन गंगा के घाटों पर शवों को दफनाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और जिला प्रशासन ने पाबंदी लगाई हुई है. इसके बावजूद परंपरा के नाम पर जिस तरह शवों को दफनाया जाना बेहद चिंताजनक है. फाफामऊ घाट पर हर दिन दर्जनों शवों को रेत में दफन किया जा रहा है. जिससे चलते यहां पर हर तरफ कब्रें ही नजर आ रही हैं.

दरअसल, मानसून आने में अब एक माह से भी कम वक्त बचा हुआ है. ऐसे में गंगा नदी के तट पर जो शव दफन किए जा रहे हैं, नदी का जलस्तर बढ़ने पर उनका गंगा में समाने का भी खतरा बना हुआ है. इससे न सिर्फ रेत में दबी लाशें गंगा में प्रवाहित होंगी, बल्कि इससे नदी भी प्रदूषित होगी. लेकिन जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम तक इस ओर से मुंह फेरे हुए हैं. पता हो कि पिछले साल कोरोना काल में शवों को गंगा के किनारे दफनाए जाने की खबर ने दुनिया में हंगामा मचा दिया था. इसके बाद हरकत में आए प्रयागराज नगर निगम ने रेत से सैकड़ों शव रेत से बाहर निकाले और उनका दाह संस्कार कराया. फिर प्रशासन ने नदी किनारे रेत में शव दफनाने पर रोक लगा दी थी. इसके रोक के बावजूद अब गंगा किनारे धड़ल्ले से शवों को दफनाए जाने का खेल जारी है. वहीं, अंतिम संस्कार में शामिल होने फाफामऊ घाट पर पहुंचे लोगों का कहना है कि घाट की स्थिति चिंताजनक है. लोगों का आरोप है कि प्रशासन और नगर निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने आए शख्स शिव बरन और अरुण प्रकाश ने कहा कि अगर फाफामऊ घाट पर विद्युत शवदाह गृह और अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध हो, तो इस तरह से शवों को दफनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हालांकि, कुछ लोग शवों को दफनाने को परंपरा से भी जोड़ते हैं.

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