इंसानी गतिविधियों की वजह से निकलने वाले प्रदूषण खासतौर से कार्बन उत्सर्जन का असर वायुमंडल में सदियों तक रहता है. जिसकी वजह से वैश्विक गर्मी बढ़ रही है. यानी ग्लोबल वार्मिंग. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. अगर लगातार इसी तरह कार्बन उत्सर्जन होता रहा तो मुंबई समेत एशिया के 50 शहर समुद्री पानी में डूब जाएंगे. ये 50 शहर चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और वियतनाम से होंगे. ये खुलासा एक नई रिपोर्ट में किया गया है.
चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और वियतनाम कोयला आधारित प्लांट बनाने में वैश्विक स्तर पर सबसे आगे हैं. इन देशों की आबादी भी ज्यादा है. इसलिए वैज्ञानिकों को आशंका है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बुरा असर इन देशों को देखने को मिलेगा. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका को भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ेगा. वहां की जमीन का दसवां हिस्सा समुद्री पानी में डूब जाएगा. कई द्वीपीय देश तो खत्म हो चुके होंगे.
दुनियाभर के जो देश हाई-टाइड वाले जोन में आते हैं, वहां पर समुद्री जलस्तर बढ़ने से 15 फीसदी की आबादी प्रभावित होगी. यह स्टडी हाल ही क्लाइमेट कंट्रोल नाम की साइट पर प्रकाशित हुई है. जिसमें भारत से मुंबई को खतरे में दिखाया गया है. हालांकि इस स्टडी में यह बताया गया है कि दुनियाभर के करीब 184 जगहें ऐसी हैं जहां पर समुद्री जलस्तर बढ़ने का सीधा असर होगा. इन शहरों का बड़ा हिस्सा या फिर पूरे शहर पानी में डूब जाएंगे.
इस स्टडी में यह बताया गया है कि अगले 200 साल से लेकर 2000 साल के बीच धरती का नक्शा बदल चुका होगा. जमीनें गायब हो चुकी होंगी. क्योंकि अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 3 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ता है तो दुनिया भर के ग्लेशियर पिघल जाएंगे. हिमालय जैसे पहाड़ों पर मौजूद बर्फ निचले इलाकों में बाढ़ लाएगी. जिसकी वजह से पूरी दुनिया का बड़ा हिस्सा बढ़ते समुद्री जलस्तर में समा जाएगा.
इससे पहले अगस्त में IPCC की क्लाइमेट रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ सिर्फ 79 साल और...यानी 2100 में भारत के 12 तटीय शहर करीब 3 फीट पानी में चले जाएंगे. क्योंकि लगातार बढ़ती गर्मी से ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलेगी. उससे समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. फिर क्या...चेन्नई, कोच्चि, भावनगर जैसे शहरों का तटीय इलाका छोटा हो जाएगा. तटीय इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना होगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सी लेवल प्रोजेक्शन टूल (Sea Level Projection Tool) बनाया है. जिसका आधार है इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की हाल ही में आई रिपोर्ट. इस रिपोर्ट में कहा भी गया है कि 2100 तक दुनिया प्रचंड गर्मी बर्दाश्त करेगी. कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसत 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी. अगले दो दशकों में ही तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. जब इतना तापमान बढ़ेगा, तो जाहिर सी बात है कि ग्लेशियर पिघलेंगे. उसका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा
नासा के प्रोजेक्शन टूल में दुनियाभर का नक्शा बनाकर दिखाया गया है कि किस साल दुनिया के किस हिस्से में कितना समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. आईपीसीसी हर 5 से 7 साल में दुनियाभर में पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट देता है. इस बार की रिपोर्ट बहुत भयावह है. यह पहली बार है जब नासा ने पूरी दुनिया में अगले कुछ दशकों में बढ़ने वाले जलस्तर को मापने का नया टूल बनाया है. यह टूल दुनिया के उन सभी देशों के में समुद्री जलस्तर को माप सकता है, जिनके पास तट हैं.
भारत के जिन 12 शहर साल 2100 तक आधा फीट से लेकर करीब पौने तीन फीट समुद्री जल में समा जाएंगे. क्योंकि तब तक इतनी गर्मी बढ़ेगी कि समुद्र का जलस्तर भी बढ़ेगा. सबसे ज्यादा जिन शहरों को खतरा है, वो हैं- भावनगरः यहां 2100 तक समुद्र का जलस्तर 2.69 फीट ऊपर आ जाएगा, जो कि पिछले साल तक 3.54 इंच ऊपर उठा था. कोच्चिः यहां समुद्री पानी 2.32 फीट ऊपर आ जाएगा, जो पिछले साल तक 2.36 इंच ऊपर उठा था. मोरमुगाओः यहां पर समुद्री जलस्तर 2.06 फीट तक बढ़ जाएगा, जो कि पिछले साल तक 1.96 इंच ऊपर उठा था.
इसके बाद जिन शहरों को ज्यादा खतरा है, वो हैं- ओखा (1.96 फीट), तूतीकोरीन (1.93 फीट), पारादीप (1.93 फीट), मुंबई (1.90 फीट), ओखा (1.87 फीट), मैंगलोर (1.87 फीट), चेन्नई (1.87 फीट) और विशाखापट्टनम (1.77 फीट). यहां पर पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाका जहां पिछले साल तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने का कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है. वहां पर भी साल 2100 तक आधा फीट पानी बढ़ जाएगा. जो कि परेशान करने वाली बात है. क्योंकि इन सभी तटीय इलाकों में कई स्थानों पर प्रमुख बंदरगाह है. व्यापारिक केंद्र हैं. मछलियों और तेल का कारोबार होता है. समुद्री जलस्तर बढ़ने से आर्थिक व्यवस्था को करारा नुकसान पहुंचेगा.
अगले दस सालों में इन 12 जगहों पर समुद्री जलस्तर कितना बढेगा. यह अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है. कांडला, ओखा और मोरमुगाओ में 3.54 इंच, भावनगर में 6.29 इंच, मुंबई 3.14 इंच, कोच्चि में 4.33 इंच, तूतीकोरीन, चेन्नई, पारादीप और मैंगलोर में 2.75 इंच और विशाखापट्टनम में 2.36 इंच. किडरपोर में अगले दस साल तक खतरा नहीं है. लेकिन भविष्य में बढ़ते जलस्तर का नुकसान इस तटीय इलाके को भी उठाना होगा.
अगले 20 साल में धरती का तापमान निश्चित तौर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह से होगा. IPCC की नई रिपोर्ट में 195 देशों से जुटाए गए मौसम और प्रचंड गर्मी से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जो प्रचंड गर्मी (Extreme Heatwave) पहले 50 सालों में एक बार आती थी, अब वो हर दस साल में आ रही है. यह धरती के गर्म होने की शुरुआत है.
IPCC की इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा है कि पिछले 40 सालों से गर्मी जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी गर्मी 1850 के बाद के चार दशकों में नहीं बढ़ी थी. साथ ही वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी है कि अगर हमनें प्रदूषण पर विराम नहीं लगाया तो प्रचंड गर्मी, बढ़ते तापमान और अनियंत्रित मौसमों से सामाना करना पड़ेगा. इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फ्रेडरिके ओट्टो ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भविष्य की समस्या नहीं, बल्कि अभी की दिक्कत है. यह पूरी दुनिया के हर कोने पर असर डाल रही है. भविष्य में तो और भी भयानक स्थिति बन जाएगी अगर ऐसा ही पर्यावरण रहा तो.