Fake अपहरण मामले में 24 साल तक परेशान रहा युवक, अब कोर्ट ने किया बरी

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Update: 2024-06-07 01:28 GMT

यूपी। गोरखपुर Gorakhpur एम्स थाना क्षेत्र के कुसम्ही कोठी गांव के सेमरहिया टोला निवासी रामनगीना अपने माथे पर लगा हत्या का दाग धोने के लिए 24 साल तक दरबदर भटकता रहा। वह हर किसी को बताता रहा कि उसने किसी का अपहरण, हत्या नहीं की पर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया। पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई की। केस दर्ज कर बेकसूर को जेल Jail भेज दिया।

Fake kidnapping तीन साल तक मुकदमा चला। साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया, लेकिन गांव-मोहल्ले के लोग उसे हिकारत भरी नजर से देखते रहे। पल-पल घुटकर जी रहे रामनगीना Ramangina की आंखें उस दिन चमक उठीं, जब 'मृतक' संतराज गांव लौट आया। उसे देखने के बाद रामनगीना अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने के लिए रोज सुबह संतराज का फोटो और वीडियो लेकर लोगों के पास पहुंचकर दिखा रहा है। उसका कहना है कि अब तो उसे बेकसूर मान लिया जाए।घटना 28 सितम्बर 2001 की रात हुई थी। कुसम्हीं कोठी गांव का सेमरिया निवासी संतराज घर के बाहर सोते समय अचानक गायब हो गया। उसकी पत्नी ने पति का अपहरण कर हत्या का आरोप पट्टीदार रामनगीना सहित पांच लोगों पर लगाया। घटना के आक्रोशित लोगों ने रामनगीना और अन्य लोगों के घर में घुसकर तोड़फोड़ की। जमकर बवाल हुआ।

संतराज के अपहरण के चार दिन के बाद गांव के समीप नाले से एक सड़ी-गली सिरकटी लाश मिली। उस समय परिवार के लोगों ने मृतक की पहचान संतराज के रूप में कर ली। लेकिन बाद में पोस्टमार्टम के दौरान मालूम हुआ वह लाश किसी महिला की थी। हालांकि, तब तक खोराबार पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया था। बाद में हत्या की बजाय सिर्फ अपहरण का केस चला। इस मामले में 27 मार्च 2003 को अभियुक्त राम नगीना सहित अन्य को बरी कर दिया गया लेकिन गांव के लोग रामनगीना को हत्यारा मानते रहे। कुछ लोग उसे सिरकटवा कहकर ताना मारने लगे। 20 दिन पहले संतराज गांव पहुंच गया। उसे देख सभी हैरत में पड़ गए लेकिन रामनगीना को अभी तक अपनी प्रतिष्ठा के लिए भटकना पड़ रहा है।

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