महिला ने उठाया नाम का फायदा...दो साल तक करती रही सरकारी नौकरी...अधिकारी भी हैरान

Update: 2020-12-08 16:08 GMT

सरकारी महकमे में की जाने वाली लापरवाही की एक ओर बानगी राजस्थान के धौलपुर जिले में देखने को मिली. जहां जिले की नगर परिषद में एक महिला बिना आवेदन किए ही दो वर्ष से सफाई कर्मचारी के पद पर नौकरी करती रही. महिला ने दो वर्ष में करीब ढाई लाख रुपए का वेतन भी उठा लिया और इसकी किसी भी कर्मचारी व अधिकारी को भनक तक नहीं लगी. दो वर्ष बाद जब उसका स्थायीकरण किया जाना था तो नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल की सतर्कता से फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ जिसके बाद नगर परिषद ने महिला को नौकरी से पृथक कर नोटिस देकर पूरे पैसे वसूल किये. नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल ने चार सदस्यीय टीम गठित कर दी है. जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद फर्जीवाड़े से नौकरी करने वाली महिला मीना पत्नी राजेश जाटव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

दरअसल, वर्ष 2018 में धौलपुर नगर परिषद में राज्य सरकार के निर्देशानुसार सफाईकर्मियों की लॉटरी प्रक्रिया से भर्ती हुई थी. इसमें मनिया कस्बे के गांव बराबट निवासी मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार कुशवाहा ने ओबीसी कैटिगरी में विधवा कोटे से सफाई कर्मचारी पद पर आवेदन किया था.लॉटरी में चयनित होने के बाद 14 जुलाई 2018 को आदेश क्रमांक 3003 से नियुक्ति पत्र उसके निवास गांव बराबट पर भेजा गया था लेकिन नियुक्ति पत्र डाक गलती से उसी के गांव बराबट की रहने वाली मीना पत्नी राजेश जाटव के घर पहुंच गया. मीना पत्नी राजेश जाटव ने सफाई कर्मचारी पद पर आवेदन नहीं किया और नियुक्ति पत्र उसने ले लिया और 16 जुलाई को नगर परिषद में नियुक्ति भी ले ली.

खास बात यह रही कि धौलपुर नगर परिषद में तैनात किसी भी कर्मचारी ने इस गड़बड़ी को नहीं पकड़ा. असली मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार, जिसकी नियुक्ति होनी थी उसकी उम्र मात्र 27 साल थी जबकि दूसरी फर्जी मीना की उम्र 34 वर्ष. वहीं असली मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार ने ओबीसी में आवेदन किया था, जिसने अपने आवेदन के साथ ओबीसी का प्रमाण-पत्र के अलावा पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र, शैक्षिक दस्तावेज और मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाया था.

वहीं नौकरी ज्‍वॉइन करने के बाद फर्जी दूसरी मीना ने पुलिस सत्यापन, चरित्र प्रमाण-पत्र, स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र, शौचालय निर्माण प्रमाण-पत्र लगाया था. इन सभी प्रमाण-पत्रों में फर्जी दूसरी मीना ने अपने नाम के साथ जाति के कॉलम में जाटव लिखा हुआ था. इसके बाद भी सरकारी कर्मचारियों ने दस्तावेज़ों की भिन्नता को भी नहीं पकड़ा. इतना ही नहीं मूल आवेदन और बाद में लगाए गए दस्तावेजों में अलग-अलग फोटो तक का मिलान नहीं किया. अगर उसी समय दोनों मीना के फोटो पर ध्यान दिया जाता तो गड़बड़ी पकड़ी जा सकती थी. नगर परिषद में वर्ष 2018 में भर्ती हुए सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति को दो वर्ष होने के कारण सितम्बर 2020 में उनका वेतन स्थायीकरण किया जाना था. पहले तो नगर परिषद अधिकारी-कर्मचारियों ने एक साथ ही सभी का एक ही फाइल में वेतन स्थायीकरण करने की बात कही लेकिन नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल ने इसे नकारते हुए सभी के दस्तावेजों को फिर से जांच करने के बाद ही वेतन स्थायीकरण करने के आदेश दिए. इसके बाद सभी सफाई कर्मचारियों की फाइलों की जांच की गई और सभी कर्मचारियों से ऑरिजनल दस्तावेज मंगाए गए.

इसी प्रकार फर्जी दूसरी मीना से भी दस्तावेज मंगाए तो उसके सभी दस्तावेजों को उसका पति राजेश नगर परिषद लेकर पहुंच गया. तब मामले का खुलासा हुआ कि नियुक्ति ही गलत तरीके से हुई है. इसके बाद दूसरी फर्जी मीना को 30 सितम्बर 2020 को नौकरी से हटाते हुए उसे नोटिस भी तामील कराया है जिसमें कानूनी कार्रवाई की बात कही है. नगर परिषद आयुक्त ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है.


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