प्रसव के दौरान महिला की जा सकती थी जान, High Court ने दी अबॉर्शन कराने की अनुमति

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Update: 2024-07-14 01:24 GMT

दिल्ली delhi news । दिल्ली हाईकोर्ट Delhi High Court ने शनिवार को एक विवाहित महिला की उस याचिका को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें उसने असामान्य भ्रूण के कारण 32 हफ्ते के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव नरूला की अदालत ने एम्स के मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के साथ-साथ याचिकाकर्ता महिला की शारीरिक-मानसिक सेहत पर गौर करने के बाद अनुमति प्रदान की। अदालत ने फैसले के साथ कहा कि गर्भावस्था जारी रहने से याचिकाकर्ता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। इसकी वजह से रोग से ग्रसित बच्चे का जन्म होने की आशंका है। pregnant woman

delhi न्यायमूर्ति महाजन ने 13 जुलाई को पारित आदेश में कहा कि अदालत याचिकाकर्ता और अजन्मे भ्रूण दोनों के हित को देखते हुए महिला को अबॉर्शन की अनुमति देना उचित समझती है। उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख किया गया है कि एम्स मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने याचिकाकर्ता और उसके पति को परामर्श दिया है। दोनों को इतनी देर से कराए जाने वाले गर्भपात के जोखिमों के बारे में अवगत कराया है। फिर भी याचिकाकर्ता इस प्रक्रिया से गुजरने को तैयार है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से भी बातचीत की है। महिला का कहना है कि यह उसका अपना व्यक्तिगत निर्णय है।

बता दें कि एमटीपी अधिनियम की धारा 3(2बी) एक गर्भवती महिला को भ्रूण में असामान्यताएं होने पर 24 हफ्ते की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देती है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि स्पष्ट मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए अदालत याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए इच्छुक है। 31 वर्षीय विवाहित महिला ने भ्रूण के असामान्य होने के कारण 32 हफ्ते की गर्भावस्था को समाप्त कराने की अनुमति मांगने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका पर अदालत ने एम्स से रिपोर्ट तलब की थी।


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