महिला ने ली राहत की सांस, साइबर पुलिस का ये एक्शन चर्चा में...
बड़ी ठगी का शिकार होते होते बची.
नई दिल्ली: मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि साइबर पुलिस के समय रहते हस्तक्षेप के चलते एक महिला प्रोफेसर के 7.52 लाख रुपये बच गए. इससे पहले कि ऑनलाइन जालसाज इसे बैंक खाते से निकाल पाते पुलिस हरकत में आई को महिला बड़ी ठगी का शिकार होते होते बची.
उन्होंने कहा कि मुलुंड के एक कॉलेज में पढ़ाने वाली महिला से कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने संपर्क किया था, जिन्होंने उसे पार्ट टाइम नौकरी दिलाने का वादा किया था. इसके लिए महिला ने 9 जनवरी से 3.18 लाख रुपये और गुरुवार को 10 लाख रुपये का भुगतान किया.
उन्होंने कहा "हालांकि, महिला को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा किया जा रहा है और उसने तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन को कॉल किया. जिसे हम गोल्डन आवर कहते हैं, उसके भीतर कार्रवाई करते हुए, हमने बैंक के नोडल अधिकारी से संपर्क किया और जालसाजों द्वारा पूरी राशि निकालने से पहले 7.52 लाख रुपये बचाने में सफल रहे. मुलुंड थाने में मामला दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है.
Online Scam की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसा लगता है कि कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नहीं बचा है जहां पर डिजिटल फ्रॉड या स्कैम ना होता हो. कई चेतावनी के बाद भी लोग स्कैमर्स की जाल में फंस जाते हैं. अब बीते माह एक केस आया था. इसमें बताया गया है कि 40 साल के एक व्यक्ति ने साइबर फ्रॉड में लगभग 38 लाख रुपये गंवा दिए. द फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि मुंबई के रहने वाले एक शख्स को टेलीग्राम पर एक अनजान महिला का मैसेज मिला. महिला ने उन्हें ऑनलाइन पैसे कमाने का ऑफर किया. महिला ने बताया कि उनकी कंपनी के कुछ प्रोडक्ट्स को उन्हें केवल ऑनलाइन रेटिंग देनी है. इसके लिए उन्हें अच्छी कमीशन भी दी जाएगी. पैसे कमाने की बात सुनकर विक्टिम ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई.
पीड़ित पुलिस को दिए बयान में बताया कि टास्क पूरा करने के लिए उसने 37.80 लाख रुपये खर्च किए. वेबसाइट पर उनके ई-वॉलेट में 41.50 लाख की राशि दिख रही थी. फिर उन्होंने विड्रॉल की रिक्वेस्ट वेबसाइट पर सब्मिट की. लेकिन, उनकी रिक्वेस्ट पेंडिंग में ही दिख रही थी. थोड़ी देर बार वेबसाइट और टेलीग्राम ग्रुप को डिलीट कर दिया गया. इसके बाद विक्टिम ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.