अदालत में मुकर गए गवाह, फिर भी हत्या के केस में कोर्ट ने आरोपी को पाया दोषी, जानिए कैसे?
चरित्र पर करने लगा था शक.
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हत्या के एक केस में गवाह के मुकर जाने के बाद भी परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है. ये मामला एक शख्स द्वारा अपनी पत्नी की हत्या से जुड़ा है. 14 जून 2014 को सुबह 6 बजे से पहले कोल्हापुर के रहने वाले संजय विश्वास केंगर ने मसाला पीसने वाले सिलबट्टे से मारकर अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी. संजय विश्वास अपनी पत्नी पर कुछ दिनों से शक किया करता था.
इस मामले में निचली अदालत ने संजय को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी.अभियोजन पक्ष द्वारा ये पूरा केस परिस्थिति जन्य साक्ष्यों पर आधारित था. इस घटना का कोई ऐसा गवाह नहीं था जो प्रत्यक्षदर्शी रहा हो. लेकिन हाई कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के विश्लेषण और अध्ययन के आधार पर आरोपी को हत्या का दोषी माना.
चरित्र पर करने लगा था शक
संजय विश्वास केंगर की पत्नी ने अपने मायके वालों को बताया था कि उसकी शादी के चार साल बाद तक सब कुछ ठीक था, लेकिन पिछले कुछ समय से केंगर उसके चरित्र पर शक करने लगा था. इसके बाद केंगर अपनी पत्नी को बुरी तरह से पीटने लगा था. साल 2013 में केंगर की पत्नी अपने मायके चली गई. जब कुछ दिन बाद वो अपने ससुराल लौटी तो उसके साथ मार पीट फिर से शुरू हो गई. उसने ये बात अपनी मां को बताई दी, मां ने उसे भरोसा दिया था कि वो उसके घर आएगी और मामले को सुलझाएगी. लेकिन जब तक ऐसा हो पाता इससे पहले ही उसके पति ने उसे मार डाला.
अदालत में बहस के दौरान एक गवाह तो अभियोजन पक्ष के साथ खड़ा रहा, लेकिन केंगर के परिवार के कई सदस्य अपने बयान से मुकर गए और अभियोजन की दलीलों से सहमत नहीं हुए. इनमें से केंगर का 11 साल का बेटा था. जो कि अभियोजन पक्ष द्वारा बताई गई कहानी से मुकर गया.
मुकर गए गवाह
केंगर की ओर से जिरह कर रहे वकील आशीष सतपुते ने कहा कि अभियोजन पक्ष हत्या की वजह स्थापित नहीं कर सका है, इसके अलावा कोई भी परिस्थितिजन्य साक्ष्य को अभियोजन पक्ष संदेह से परे साबित नहीं कर सका है. वकील ने कहा है कि अभियोजन पक्ष के गवाह भी मुकर गए हैं.
सरकारी वकील अरफान सैत ने कहा कि हालांकि कई गवाह मुकर गए हैं लेकिन वे केंगर के पड़ोसी और रिश्तेदार थे. इसलिए इसका फायदा केंगर को नहीं दिया जा सकता है. कई परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं जो पूरे घटनाक्रम को दर्शाते हैं. केंगर 14 जून 2014 को घर में नहीं था. यही शंका पैदा करता है. इसके बारे में वो कोई सफाई भी नहीं दे पा रहा है. अगर वो घर में होता और अपराध को अंजाम नहीं दिया होता तो सामान्य परिस्थितियों में चोट लगने के बाद वह अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाता या फिर पुलिस को खबर करता. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. इसलिए यह दलील कि ये एक खुदकुशी का मामला है. सही नहीं है.
इस फैसले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएस जाधव और जस्टिस एसवी कोतवाल ने कहा कि मृत महिला की मां और बहन के बयानों से केंगर का उद्देश्य पता चल जाता है. हालांकि कुछ गवाह मुकर गए हैं, लेकिन महिला का अपने पति से अलग अपने माता पिता के साथ रहना ये दर्शाता है कि पति-पत्नी बीच के रिश्ते सामान्य नहीं थे.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "इन सभी परिस्थितियों को एक साथ देखते हुए, हम संतुष्ट हैं कि अभियोजन पक्ष ने प्रत्येक परिस्थिति को संदेह से परे साबित कर दिया है. उन्होंने वर्तमान अपीलकर्ता के खिलाफ घटनाओं की पूरी चेन तैयार की और इसलिए, हम संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता ने यह अपराध किया है."