गंगा का जलस्तर 5 सेमी घटा, बाढ़ पीड़ितों को अब भी राहत नहीं मिली
गंगा का जलस्तर पांच सेंटीमीटर घटने के बाद भी बाढ़ से पीड़ितों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं।
अमृतपुर। गंगा का जलस्तर पांच सेंटीमीटर घटने के बाद भी बाढ़ से पीड़ितों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। गांव व रास्तों पर पानी भरा होने से आवागमन बाधित है। प्रभावित कई गांवों में जलजनित बीमारियां भी फैलने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी खानापूरी करके लौट जाती हैं। अभी तक बाढ़ पीड़ितों को सरकारी सहायता मिलनी शुरू नहीं हुई है।
पहाड़ों पर हो रही बारिश के चलते गंगा में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। हालांकि नरौरा बांध से लगातार दो दिन पानी कम छोड़े जाने से जलस्तर घटा है। रविवार को जलस्तर 136.85 से घटकर 136.80 मीटर पर पहुंच गया है। इसके बावजूद चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर से 20 सेंटीमीटर ऊपर गंगा का जलस्तर है।
रविवार को नरौरा बांध से गंगा में 97 हजार 366 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जलस्तर कम होने के बावजूद बाढ़ के पानी से घिरे गांव कंचनपुर सबलपुर, उदयपुर, आशा की मड़ैया, तीसराम की मड़ैया, अम्बरपुर की मड़ैया, ऊगरपुर, हरसिंहपुर कायस्थ, सुंदरपुर, जटपुरा कहिलियाई, माखन नागला, रामपुर, जोगराजपुर आदि में अभी भी पानी घरों व रास्तों पर भरा हुआ है। आने जाने का साधन न होने से घर में रोजमर्रा की वस्तुएं भी खत्म होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं।
किसी के घर में आटा खत्म हो गया तो किसी के यहां रोटी बनाने के लिए गैस व लकड़ी का इंतजाम नहीं है। तहसील प्रशासन ने अब तक बाढ़ पीड़ितों की चिंता नहीं है। गांव माखन नागल को जाने वाली कटी सड़क पर काफी मात्रा में पानी चल रहा है। एसडीएम ने नाव की व्यवस्था तक नहीं कराई। कई दिनों से गांव में पानी भरा होने से ग्रामीण जुकाम-बुखार आदि बीमारियों से भी घिरने लगे हैं। रामगंगा में खो हरेली ,रामनगर से 3434 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। रामगंगा का जलस्तर 134.40 से घटकर 134.35 मीटर पर पहुंच गया है।
कमालगंज के कटान से बेघर हुए बाढ़ पीड़ितों को अभी तक आवास के लिए भूमि नहीं मिली है। गांव कल्लूनगला निवासी मुन्नीदेवी पत्नी दुर्विजय के परिजनों ने मकान तोड़कर ईंटें सुरक्षित कर ली थीं। आवास वाली भूमि गंगा में समा गई। टूटी झोपड़ी बची है। रेणुका के प्रधानमंत्री आवास की जगह भी कटान में बह गई। गांव के महेंद्र, भूधर, चंद्रशेखर, रामविलास, हरिचंद्र के मकानों पर भी कटान का खतरा है। दुर्विजय ने कहा कि अभी तक ग्राम सभा की जमीन बाढ़ पीड़ितों को नहीं दी जा रही। शुक्रवार को लेखपाल व कानूनगो सहित समिति की बैठक में छह लोगों को भूमि देने का प्रस्ताव पारित हुआ था, लेकिन नाप नहीं की जा रही है।
बाढ़ प्रभावित कल्लूनगला, धारानगला, जंजाली नगला आदि गांवों में 15-20 दिन से बाढ़ का पानी भरा है। इससे अब जलजनित बीमारियां भी फैल रही है। गांव धारानगला व कल्लूनगला के ग्रामीणों ने कहा कि बुखार, खांसी की कई लोग परेशान हैं। खासकर बच्चों की तबियत खराब हो रही है। गांव में पानी भरने से मच्छर, कीड़ा भी पनप रहे हैं।