डॉक्टर दंपति की कहानी: बेटी की मौत के बाद छात्राओं के लिए खरीदी बस, फिर....

अपना जीवन समर्पित किया

Update: 2021-03-12 10:39 GMT

सेवानिवृत्त डॉक्टर आरपी यादव ने अपने प्रोविडेंट फंड से 19 लाख रुपये निकालकर बालिकाओं के लिए बस खरीद डाली, ताकि आस-पास के गांव की लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए राजकीय पाना देवी महाविद्यालय अध्ययन के लिए जा सके. डॉक्टर आरपी यादव और उनकी पत्नी प्रतिदिन कन्याओं का पूजन करके और उनका मुंह मीठा करा कर बालिकाओं को बस में बैठाने जाते हैं. सेवानिवृत्त डॉक्टर रामेश्वर प्रसाद यादव जयपुर के कोटपुतली इलाके के चुरी गांव के रहने वाले हैं. डॉक्टर यादव ने जब यह देखा कि उनके और आसपास के गांव की लड़कियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अभाव में कई किलोमीटर पैदल चलकर कॉलेज जाना पड़ता है तो उन्होंने इसका समाधान करने का बीड़ा उठा लिया.

दरअसल, बरसों पहले डॉ. यादव की 6 महीने की बेटी की मौत हो गई थी. बेटी की मौत ने डॉ. रामेश्वर यादव को झकझोर कर रख दिया. बाद में जब उन्होंने अपने गांव के आसपास के इलाके की बेटियों को पैदल कॉलेज जाते देखा तो उनका और उनकी पत्नी का दिल भर आया. उन्होंने उसी समय ठान लिया कि वे अपना जीवन बेटियों और उनकी शिक्षा के लिए समर्पित करेंगे.

डॉ. यादव ने अपने प्रोविडेंट फंड के 19 लाख रुपये से न केवल छात्राओं के लिए बस खरीदी, बल्कि वे अपनी पेंशन के करीब 40-48 हजार रुपए बस के रखरखाव और ड्राइवर पर खर्च करते हैं. डॉक्टर यादव को प्रति माह 68,932 रुपये पेंशन मिलती है. वे पेंशन की अधिकांश राशि बस के रखरखाव और देखभाल पर खर्च कर देते हैं. डॉक्टर दंपति की ओर से खरीदी गई इस बस प्रतिदिन 70-80 लड़कियों को फ्री में कॉलेज ले जाती है और लाती है.

बकौल डॉक्टर यादव, वह एक दिन अपनी पत्नी के साथ सीकर के नीमकाथाना से कोटपूतली स्थित अपने गांव में जा रहे थे. उस दौरान तेज बारिश हो रही थी. रास्ते में देखा कि 4 लड़कियां कीचड़ में सनी हुईं पैदल ही कॉलेज जा रही हैं. डॉक्टर दंपति ने अपनी कार रोकी और उनसे पैदल जाने का कारण पूछा. लड़कियों को कहना था कि कॉलेज गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर है और एक प्राइवेट बस चलती है, लेकिन बस में छेड़खानी की घटनाओं के चलते वे प्राइवेट बस में नहीं जाना चाहती. लड़कियों का जवाब सुनकर डॉक्टर की पत्नी हैरान हो गई. उन्होंने डॉ. यादव से सवाल किया कि यदि अपनी बेटी जीवित होती तो उसके लानन-पालन और ब्याह-शादी अब तक कितना खर्च आता.

डॉक्टर साहब ने जवाब दिया कि करीब 20 लाख रुपये. उसी दिन से डॉक्टर दंपती ने तय कर लिया कि वे अपने पीएफ फंड से रुपये निकालकर बेटियों के लिए एक बस खरीदेंगे. डॉक्टर दंपति ने बस खरीदकर बेटियों की समस्या का समाधान और अपने सपने को साकार कर दिया. डॉक्टर आरपी यादव ने बताया कि उन्होंने बस तो खरीद ली लेकिन आसपास के ग्रामीण अपनी बेटियों को कॉलेज भेजने के लिए तैयार नहीं थे. इस पर डॉक्टर दंपति गांव गांव गए और बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज भेजने के लिए प्रेरित किया.

डॉक्टर आरपी यादव का कहना है शुरुआती दिनों में कुछ लोग कॉलेज भेजने के लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में ग्रामीणों ने अपनी बेटियों को कॉलेज भेजना शुरू कर दिया. वर्तमान में करीब 80 लड़कियां फ्री में बस से कॉलेज जाती है और आती हैं. यह देखकर डॉक्टर दंपति खुशी से फूले नहीं समाते.

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