श्री मद् भागवत कथा के पाँचवे दिन हुई भगवान श्रीकृष्ण के बाल लिलाओं की कथा
लखीसराय। नगर स्थित राणी सती मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के पाँचवें दिन कथा वाचक डा. मनोहर मिश्र महाराज ने बहुत हीं सरस एवं रोचक अंदाज में सुनाई भगवान श्री कृष्ण के बाल लिलाओं की कथा । भगवान श्री कृष्ण की बाल लिलाओं में माखन चोरी की लीला का तात्विक अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि संतों का हृदय हीं माखन है । माखन को जब आग की गर्मी लगती है यानी खुद को कष्ट होता है तब माखन पिघलता है । परन्तु संत का हृदय तो माखन से भी कोमल होता है। जिस जीवात्मा का हृदय माखन जैसा कोमल करुणा एवं दया से भरा हुआ होता है उस मनुष्य का मन रुपी माखन का भगवान श्रीकृष्ण चोरी कर लेते हैं यानी संसार से हटाकर भगवत भजन में लगा देते हैं। जिसका मन भगवान में लग जाता है उसके पीछे-पीछे भगवान खुद अपने भक्त का मन रूपी माखन का भोग लगाने के लिए मन रूपी माखन की चोरी करने के लिए लालायित रहते है। इस माखन चोरी लीला का मर्म बताते हुए उन्होंने कहा कि जो मनुष्य अपने हृदय को भगवान की भक्ति से भर लेता है उस मनुष्य का मन माखन की तरह कोमल एवं दया एवं करुणा से भरा हुआ बन जाता है। फिर उस मनुष्य को भगवान को कहीं ढूँढ़ने नहीं जाना पड़ता है बल्कि भगवान स्वयं उस भक्त के पीछे-पीछे - चलने को तैयार हो जाते है। जैसे गोपियों के पीछे-पीछे भगवान श्रीकृष्ण माखन के लिए चलते हैं। महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल लिलाओं में गोचारण लिला ,माखन चोरी लीला, उखल बधंन लिला, कालिया नाग नाथने की लीला एवं महारास की लीला प्रमुख है।