भारत की आत्मा से जुड़ी है भारतीय संविधान की आत्मा, स्व व्यवस्था लागू करने के लिए हो रहे हैं प्रयास : सुनील आंबेकर
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भारत के संविधान की आत्मा को भारत की आत्मा से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा है कि देश के लोग भारत में अपनी प्राचीन यानी स्व-व्यवस्था लागू करना चाहते हैं। उन्होंने आगे दावा किया कि व्यवस्था को अपने अनुकूल बनाने यानी स्व-व्यवस्था बनाने के लिए बदलाव प्रारम्भ हो गए हैं और लोग इससे उत्साहित है। राजधानी दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र की नई वेबसाइट का विमोचन करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि मुगलों के आगमन से पहले देश में देशी व्यवस्था लागू थी। सबके लिए न्याय और सबकी बराबरी वाली व्यवस्था के उस दौर में भारत हजार वर्षो तक समृद्ध देश रहा था। मुगलों के आने के बाद देश में विदेशी व्यवस्था लागू हुई। जिसे अपने राज्याभिषेक के बाद शिवाजी ने तेजी से बदलना शुरू कर दिया। उन्होंने शिक्षा से लेकर भाषा और सेना में पदों के नाम तक का भारतीयकरण किया। बाद में अंग्रेजों ने अपनी व्यवस्था को देश मे लागू कर दिया। वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के तुरंत बाद अपनी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
आंबेकर ने आगे कहा कि कई लोगों का यह कहना है कि भारतीय संविधान की आत्मा भारत की आत्मा से जुड़ी हुई है इसलिए संविधान में भगवान राम का चित्र है, भगवान कृष्ण का भी चित्र है। उन्होंने कहा कि देश के लोग भारत में अपनी व्यवस्था लाना चाहते हैं और ऐसे समय में जब आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं तो यह समय है कि व्यवस्था को अपने अनुकूल बनाया जाए , स्व-व्यवस्था बनाई जाए। उन्होंने कहा कि बदलाव प्रारम्भ हो गए हैं और लोग इससे उत्साहित हैं।
उन्होंने वैश्विक समस्याओं के समाधान के ²ष्टिकोण में भारत के स्टैंड की बढ़ रही वैश्विक स्वीकार्यता का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनियाभर में नेतृत्व की भूमिका में है। भारत को दुनियाभर में एक आदर्श प्रस्तुत करना है ताकि भारत समस्याओं पर हो रही चचार्ओं को समाधान की दिशा में ले जाने का नेतृत्व कर सकें।
आंबेकर ने भारतीय त्योहारों को समाज को जोड़ने वाला बताते हुए कहा कि त्योहार जीवन में उत्साह लाते हैं और यह सभी लोगों के साथ ही पूरे समाज और देश को जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं और सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने भारत में आ रहे बदलावों के जिक्र करते हुए कहा कि आज जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक हर जाति समुदाय से सकारात्मक नेतृत्व उभर कर सामने आ रहा है। लोग शांति के साथ विकास चाहते हैं और देश के विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं।