नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया है. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी बोले कि आज देश आजादी का महोत्सव मना रहा है. अपने संबोधित में पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधानसभा नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा.'
बता दें कि यह सम्मेलन छह साल बाद हो रहा है. इससे पहले 2016 में यह सम्मेलन हुआ था. यह सम्मेलन न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने का एक मंच है. अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए चीफ जस्टिस एनवी रमणा (NV Ramana) के प्रस्ताव को सम्मेलन के एजेंडे का हिस्सा बनाया गया है. संबंधित कार्यक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि न्यायिक रिक्तियों को भरने, लंबित मामलों, कानूनी सहायता सेवाएं और भविष्य के प्रारूप तथा ई-अदालत चरण-तीन जैसे विषय एजेंडे के शीर्ष पर रखे गए हैं.
सामान्य तौर पर इस तरह के सम्मेलन हर दो साल में होते हैं, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं. पिछला सम्मेलन अप्रैल 2016 में आयोजित किया गया था. यह इससे पूर्व 2015 और इससे पहले 2013 में आयोजित किया गया था. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश का पहला सम्मेलन साल 1953 के नवंबर महीने में हुआ था और तब से लेकर अब तक इस तरह के 38 सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं. कुछ महीने पहले न्यायमूर्ति रमण ने अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने के वास्ते भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था.
सम्मेलन के उद्घाटन के बाद विभिन्न कार्य सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एजेंडे में शामिल विषयों पर चर्चा करेंगे और आम सहमति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि ये सम्मेलन कार्यपालिका और न्यायपालिका के जरिए न्याय को सरल और सुविधाजनक बनाने की रूपरेखा तैयार करने के लिए किया जा रहा है.