सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को पलटने की शक्ति

Update: 2023-08-10 08:24 GMT

क्या आपने ओडिशा के बरहामपुर का नाम सुना है? 90 के दशक में देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव इस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे थे। लेकिन बरहामपुर से एक और बड़े राजनेता का जुड़ाव है जो देश का चौथा राष्ट्रपति भी बना। 1923 में आयरलैंड से वकालत की पढ़ाई करके लौटे कांग्रेस के नेता वराह वेंकट गिरी ने देश की पहली रेलवे यूनियन बनाई। फिर कांग्रेस की सरकार बनी तो नेहरू सरकार में मंत्री बने और फिर गवर्नर भी रहे। बाद में 1969 का दौर आया जब इंदिरा गांधी और संगठन के लोगों के बीच झगड़ा चल रहा था। इस झगड़े में वीवी गिरी ने इंदिरा गांधी का साथ दिया। वो उस वक्त उपराष्ट्रपति थे। इंदिरा गांधी के कहने पर उन्होंने इस्तीफा दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। फिर इंदिरा के सहयोग से बेहद करीबी अंतर से चुनाव जीतकर देश के चौथे राष्ट्रपति बन गए।

इंदिरा बनाम कैबिनेट

कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक बैंगलोर में हुई थी। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में दलित नेता जगजीवन राम का नाम प्रस्तावित किया। लेकिन तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष निजलिंगप्पा और के कामराज ने निलम संजीव रेड्डी का नाम प्रस्तावित किया। इंदिरा गांधी के उम्मीदवार का नामांकन नहीं हो पाया। कांग्रेस पार्टी में दरार पड़ गई। पीएम इंदिरा ने वीवी गिरी का समर्थन करने का फैसला किया। चुनाव से चार दिन पहले सामने आकर उन्‍होंने कांग्रेस विधायकों और सांसदों से अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील कर दी। इंदिरा की बात मानते हुए सांसदों और विधायकों ने गिरी का समर्थन किया और नीलम संजीव रेड्डी को 1 प्रतिशत के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

कोर्ट में क्यों पहुंचा मामला

आरोप लगे कि चुनाव में बेइमानी हुई है। वीवी गिरी पर आरोप लगे कि चुनाव जीतने के लिए उन्होंने गलत तरीके का इस्तेमाल किया। उस वक्त तक गिरी राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके थे। फिर भी मसले का हल करने के लिए मामले में गवाही देने के लिए वो कोर्ट में आए। कोर्टरूम के कटघरे में सोफे जैसी बड़ी कुर्सी लगाई गई थी। हालांकि कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया। इस तरह से गिरी देश के पहले राष्ट्रपति हैं जिन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ा।  

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