3 महिलाओं के दर्दनाक कहानी: मानव तस्कर कराते थे 20 घंटे काम, और...

Update: 2021-08-15 15:10 GMT

ओमान में फंसी कानपुर की दो और उन्नाव की एक महिला रविवार सुबह मस्कट से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं। पहले सभी को शनिवार देर रात आना था मगर फ्लाइट लेट होने के कारण तीनों रविवार सुबह लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं। तीनों महिलाएं परिजनों को देखकर फूट फूटकर रोने लगी। उन्होंने कहा कि वह किसी नर्क से कम नहीं है। आठ महिनों में यातनाओं के अलावा कुछ मिला ही नहीं। वापस लौटी एक पीड़िता कानपुर में फूल वाली गली की रहने वाली है। उनका कहना था कि पति ने छोड़ दिया था। तीन बच्चों की जिम्मेदारी थी। उस समय मुज्जमिल से मुलाकात हुई थी और उसने ओमान में अच्छी नौकरी लगवाने का झांसा दिया था। उसने कहा था कि 50-60 हजार की नौकरी तो ऐसे ही मिल जाएगी। उसके कहने पर पीड़िता तैयार हो गई और ओमान चली गई।

पीड़िता का कहना था कि उसे वर्किंग की जगह ट्यूरिस्ट वीजा पर भेजा गया था। वहां पहुंचने पर ट्यूरिस्ट वीजा की अवधि खत्म हो गई तब उन्हें दोनों के बीच का अंतर पता चला। मगर तब तक जाल में फंस चुकी थी। एजेंसी संचालक ने उनका वर्किंग वीजा बनवाने के साथ काम पर शेख के यहां लगा दिया। पीड़िता ने बताया कि वहां नर्क था। 20-20 घंटे काम कराया जाता था। तीन दिन में दो बार खाने को दिया जाता था। खाना भी बासी होता था। इतना ही नहीं शेख के कारिंदे कभी भी गलत हरकत करने को तैयार रहते थे और दो तीन बार प्रयास भी किया। अगर कोई बीमार पड़ जाए तो दवा भी तब मिलती थी जब वह मरने की स्थिति में आ जाता था।

कांशीराम कालोनी निवासी दूसरी पीड़िता भी जब एयरपोर्ट पर उतरी तो अपने बेटों को गले लगाकर खूब रोई। उन्होंने बताया कि पति की मौत के बाद उनके सिर पर तीन बेटों की जिम्मेदारी थी। हालात ऐसे थे कि बच्चों को पढ़ा लिखा नहीं सकी। तभी मुज्जमिल से मुलाकात हुई और ओमान में अच्छी नौकरी के झांसे में आ गई। पीड़िता ने बताया कि पैसे कमाकर बेटे को व्यापार कराने के इच्छा से वह ओमान चली गई। उन्हें भी वीजा के खेल में फंसाया गया और फिर उन्हें झाड़ू पोंछा, सफाई के काम में लगा दिया गया। जब वापस आने की उम्मीद बंधी तो शेख के कारिंदों ने चार लाख रुपए मांगे तब बेटे के सम्पर्क कर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी। आत्महत्या ही विकल्प बचा तीसरी उन्नाव निवासी पीड़िता ने दिसम्बर 2020 में अच्छे काम के चक्कर में ओमान गई थी। उन्होंने बताया कि कि वहां पर जो यातनाएं मिली उसमें तो आत्महत्या ही आखिरी विकल्प लगता था। ऐसा लग रहा था कि अब जिंदा घर तो नहीं पहुंच पाएंगे। क्राइम ब्रांच की जानकारी मिलने के बाद चोरी से फोन करके अधिकारी को सब जानकारी दी। उनके प्रयासों से अब हम किसी तरह वापस आ सके हैं।

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