अस्पताल प्रशासन ने 10 दिन तक बेटे को नहीं दी पिता की जानकारी, विधायक पहुंचे तो हुआ ये खुलासा
एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जिसने हर किसी को हिलाकर रख दिया है. अस्पताल के मोर्चरी में पिछले 10 दिनों से एक मजदूर का शव रखा हुआ था पर अस्पताल प्रशासन द्वारा उसके नाबालिग बेटे को शव नहीं दिया गया और न ही मौत की सूचना किसी को दी गई. मौके पर पहुंचकर विधायक अनिल पाराशर और एमएलसी मानवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमएस को इस घटना के बारे में बताया तब इस लापरवाही का खुलासा हो सका.
इस मामले पर प्रशासन की जमकर किरकिरी हो रही है और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के सीएमएस एबी सिंह को छुट्टी पर भेज दिया गया है और अस्पताल में हुई इस लापरवाही की जांच शुरू हो गई है. बता दें, 23 तारीख को खिरनी गेट के रहने वाले राजू पुत्र सुंदरलाल की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी. इसके बाद उसे पड़ोसियों ने दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. लेकिन इसी दिन शाम को राजू की मौत हो गई और उसके शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. तब से लेकर मंगलवार तक राजू का शव अस्पताल की मोर्चरी में ही पढ़ा रहा.
जैसे ही इस मामले की जानकारी विधायक अनिल पाराशर और एमएलसी मानवेंद्र प्रताप सिंह को हुई तो वो तत्काल ही दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल पहुंचे और उन्होंने अस्पताल प्रशासन को खूब खरी-खोटी सुनाई. फिर मृतक के शव को उसके नाबालिग बेटे और पड़ोसियों को सौंपा. इतना ही नहीं मृतक मजदूर राजू के नाबालिग बेटे रोहित के पास उसके अंतिम संस्कार के लिए पैसे भी नहीं थे. इसके बाद मानव उपकार संस्था के पदाधिकारी विष्णु कुमार बंटी ने उसका अंतिम संस्कार कराया.
मृतक के नाबालिग बेटे रोहित उर्फ छोटे ने बताया कि हम शव लेने गए थे उन्होंने मना कर दिया और कहा कि बड़े आदमी को बुला कर लाओ तब ही लाश मिलेगी. लेकिन मोहल्ले में किसी ने भी साथ नहीं दिया. वहीं एक पड़ोसी महेश मानवता दिखाते हुए उसके साथ गया था. पड़ोसी ने बताया कि मृतक राजू 21 तारीख को अस्पताल में भर्ती हुए थे और उनकी 23 तारीख को मौत हो गई थी. उनका बेटा बॉडी लेने जाता है तो उसे फटकार कर भगा दिया जाता है. इसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.
मामले पर मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने बताया कि हमें सूचना मिली कि एक शव 23 तारीख से दीनदयाल अस्पताल में पड़ा हुआ है. मौत के बाद उनका बेटा रोहित जब अस्पताल पहुंचा तो अस्पताल के कर्मचारियों ने उसको वहां से भगा दिया. वो दर-दर भटकता रहा क्योंकि न तो उसके पास पैसे थे और न ही वो इतना बड़ा था कि जिससे वह शव लाकर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सके. थक हार कर वो भी घर पर बैठ गया. संस्था के लोगों को सूचना मिली कि एक शव पड़ा हुआ है, हमने अलीगढ़ के सांसद, विधायक और एमएलसी व अन्य अधिकारियों से बातचीत की. उसके बाद अब यह शव मिला है. हमने अपने खर्चे पर उसका अंतिम संस्कार कराया है.