सरकार ने की इस युवा किसान की तारीफ, आप भी जानें कारनामे

Update: 2022-02-23 02:33 GMT

कृषि प्रणाली में बदलाव करने का मतलब की भौगोलिक स्थिति, जलवायु परिवर्तन और उत्पादन की बढ़ती लागत को ध्यान में रखा जाता है.लेकिन यवतमाल जिले एक युवा किसान (Farmer) उमेश ज़ादे ने महाराष्ट्र के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया है.कि कैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी अंगूर के बाग उगाए जा सकते है.किसान उमेश ज़ादे ने बताया कि उन्होंने ने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सूखी जमीन(Dry Land) पहाड़ी क्षेत्रों में अंगूर (Grapes )उगाना शुरू किया.किसान ने बताया कि जब वो पहाड़ी क्षेत्रों में अंगूर की खेती कर रहे थे.तभी कई लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश भी की थी.लेकिन किसान उमेश ने हार नही मानी और वो अपने डेढ़ एकड़ शुष्क भूमि में अंगूर के बाग उगाए और अभिनव प्रयोग सफलतापूर्वक किया.

किसान ने साल भर की कई कठिनाइयों को पार करने के बाद, उनके द्वारा उगाए गए बगीचे को देखने के लिए लोग दूर दूर से रहे है कि आखिर कैसे सूखे जमीन में बाग लगा सकते है.किसान उमेश ज़ादे ने बात करते हुए बताया कि इस पूरी खेती का खर्च लगभग 8 लाख हुआ है.यह मेरा पहला साल है इसिलए अभी नही लेकिन अगले साल से रेकॉर्ड उत्पादन होगा और 12 लाख तक मुनाफा होने की उम्मीद है.

किसान उमेश यवतमाल जिले रालेगांव तालुका के वधोनबाजार गाँव का रहने वाला है.उमेश का कहना है कि पारपंरिक खेती से मुनाफा नही हो रहा था साथ ही लागत की तुलना में उपज को बाज़ारों में सही कीमते नही मिल रही थीं.उमेश ने अपने घाटे में चल रहे खेत को लाभदायक बनाने के लिए अंगूर की खेती करने का फैसला किया इसके लिए वह पंढरपुर से पौधें लेकर आया था जिसे दिसंबर में अपने 1 एकड़ में पंद्रह सौ पौधें लग गाए.अब तीन महीने बाद अंगूर फलन शुरू हुआ, इसके लिए उन्होंने ड्रिप से खाद और पानी देने की भी योजना बनाई थी उचित योजना और कड़ी मेहनत के साथ, यह उद्यान फला-फूला है.

कपास और सोयाबीन जिले में सबसे व्यापक रूप से उगाई जाने वाली पारंपरिक फसलें हैं वधोनबाजार के युवा किसान उमेश जादे ने पश्चिमी महाराष्ट्र के किसानों की तरह अंगूर उगाए हैं यह पहला साल है जब डेढ़ एकड़ में अंगूर लगाए गए हैं उन्होंने यवतमाल जिले में शुष्क भूमि खेती में अभिनव प्रयोग सफलतापूर्वक किए यवतमाल जिला अपनी कपास के लिए प्रसिद्ध है,जिले में शुष्क भूमि और ऋण बंधन के कारण किसानों के आत्महत्याओं की संख्या भी बढ़ी है.इस जिले के एक बहादुर किसान ने पारंपरिक खेती को छोड़ नासिक की तरह अंगूर की खेती की है.

अकेले उमेश की वजह से क्षेत्र के किसान अब अपने फसल पैटर्न को बदलने के मूड में हैं जिन किसानों के पास पानी है उन्हें बागों की ओर रुख करना चाहिए अब इस माहौल में संतरे और अंगूर उगाए जा रहे हैं.जिला कृषि विभाग के अधिकारी राजेंद्र मालोदे ने कहा है कि समय के साथ बदलाव और कृषि आय बढ़ाने का यह सही समय.


Tags:    

Similar News

-->