भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी, नेशनल डिफेंस अकादमी में हर सत्र में 19 छात्राओं को दाखिला देगी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में केंद्र सरकार (Central government) ने नेशनल डिफेंस अकादमी (National Defense Academy) में दाखिले के लिए महिला कैडेट्स की संख्या तय करने के अपने फैसले को न्यायसंगत बताया है. ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से कहा कि हर अकादमिक सत्र में 19 छात्राओं यानी कैडेट्स को दाखिला देने की योजना तैयार की गई है.
भाटी ने बताया कि हमने ये योजनाएं तभी बना ली थीं, जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन इस मामले को अगली सुनवाई के लिए तय किया गया था. हालांकि, हमें इस संबंध में और अधिक स्टडी करने और आंकड़े जुटाने के लिए 3 महीने चाहिए थे.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने ASG ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या ये 19 की संख्या इस बात पर निर्भर करेगी कि आप कितने क्षेत्र में उन्हें दाखिला देंगे. इस पर ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वैसे तो सेना में युद्ध क्षेत्र सहित सभी शाखाओं और कोर्स में हम महिला कैडेट्स को दाखिला दे रहे हैं. लेकिन अभी नौसेना में सिर्फ 12वीं पास लड़कों को ही दाखिला मिल रहा है. हम इसमें भी महिलाओं को दाखिला देने की संभावनाएं तलाश रहे हैं. हालांकि महिलाएं SSC क्वालिफाई करने के बाद ऑफिसर बन रही हैं.
जस्टिस कौल ने कहा कि हाईकोर्ट में जब मैं ऐसे मामले सुन रहा था, तब भी सेना और सरकार का रवैया सकारात्मक था. इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील मोहित पॉल ने कहा कि सरकार और सैन्य अकादमी 5 साल के लिए दाखिले का प्रारूप तय कर रही है. क्या इसके लिए महज 5 महीने की स्टडी काफी होगी?.
इस सवाल पर ASG भाटी ने कहा कि ये अवधि सिर्फ एयरफोर्स अकादमी में दाखिले के लिए हैं. नौसेना और थल सेना के लिए अलग से जिक्र किया गया है. हालांकि ये सिर्फ फौरी तौर पर आधारभूत व्यवस्था है. अभी विचारों और उन पर अमल के दौरान काफी सुधार और बदलाव आएंगे.