100 से ज्यादा कोरोना से मृत लोगों का अंतिम संस्कार, अपने मिशन पर लगा हुआ है ये युवक

Update: 2021-05-03 07:55 GMT

देश के अन्य राज्यों की तरह आंध्र प्रदेश को भी कोरोनावायरस ने अपनी जकड़ में ले रखा है. यहां कोविड-19 के नए केसों की संख्या तेजी से बढ़ी है. तमाम मुश्किलों के बीच अस्पतालों से मरीजों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक पहुंचाने में भी कई तरह की परेशानियां पेश आ रही हैं.

ऐसे संकट-काल में राजामहेंद्रवरम में रहने वाले भरत राघव ने कोविड मरीजों के शवों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया है. 27 साल के भरत राघव MBA हैं. वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर अब तक कम से कम 110 शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. मरने वाला मरीज जिस धर्म का हो, उसी के हिसाब से अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाती है.
राघव बताते हैं कि उनके पढ़ाई के दिनों में उनके पिता की आकस्मिक मौत हो गई थी, इसके बाद उनके शव को विशाखापट्टनम से राजमहेंद्रवरम लाने के लिए घर में पैसे तक नहीं थे. ऐसे में पूरा एक दिन उनके पिता का शव अंतिम संस्कार के लिए रखा रहा था. इस घटना ने राघव को झकझोर कर रख दिया. उसी को याद करते हुए राघव ने किसी शख्स की सम्मानपूर्व अंतिम विदाई के लिए आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों की मदद करने का फैसला किया.
कोविड-19 का प्रकोप बढ़ा तो राघव ने देखा कि किसी शख्स की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदार, पड़ोसी और करीबी भी सामने नहीं आते हैं. कोरोनावायरस का खौफ उन्हें ऐसा करने से रोकता है. राघव ने इस संबंध में अपने कुछ दोस्तों से बात की और ऐसे शवों के अंतिम संस्कार का जिम्मा उठाया.
परिवार में कर्ताधर्ता भरत राघव ट्रांसपोर्ट के पेशे में हैं. भरत कहते हैं कि कोरोना की देश में दस्तक के बाद से लोगों को होने वाली दिक्कतों ने उन्हें अंदर तक हिला दिया. ऐसे में उनसे जो बन पड़ रहा है वो समाज के लिए करने की कोशिश कर रहे हैं. भरत राघव अस्पताल से शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए वाहन, PPE किट्स और अंतिम संस्कार पर होने वाला सारा खर्च खुद उठाते हैं. इसके लिए किसी से कोई पैसा नहीं लिया जाता. भरत अपने से छोटे से ग्रुप के साथ सेवा भावना से इस मिशन को अंजाम देने में जुटे हैं.
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