पूर्व DGP के बयान से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप, कौन देगा मेरे सवालों का जवाब?
कोरोना का कहर
बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने एक बार फिर से बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है. इस बार इन्होंने स्वास्थ्य महकमें से पूछा है कि कोरोना काल के व्यापक सवालों का उत्तर कौन देगा? उन्होंने कहा कि कोरोना की इस त्रासदी में जब जनता और मीडिया दुखी होकर सवाल पूछती है तो उचित जवाब कोई नहीं देता. अभयानंद ने यह सवाल फेसबुक पोस्ट के माध्यम से स्वास्थ्य महकमा से पूछा है. इनका कहना है कि कोरोना का दौर अति करुणामयी होता जा रहा है. निरीह की भांति कभी समाज की विवशता को देखता हूं तो कभी सरकारी प्रतिक्रिया को.
अभयानंद ने अपने पोस्ट के माध्यम से कहा है कि सरकार में मुख्यतः तीन स्तर होते हैं. सबसे ऊपर हैं मंत्रीगण. इन्हें नियम कानून की बारीकियां समझाने के लिए आईएएस अधिकारी होते हैं. ये ब्यूरोक्रेसी का अंग भी होते हैं. ये दोनों मिलकर नीति निर्धारण करते हैं. इसके बाद नीति को क्रियान्वित करने के लिए उस विभाग के निदेशालय को काम दिया जाता है.
अभयानंद ने अपने पोस्ट में लिखा, निदेशालय में उस विभाग के तकनीकी जानकार होते हैं जो नीति और तकनीक का समन्वय कर जनता के हित में काम करते हैं. सरकार के सभी विभागों का काम इसी प्रक्रिया से किए जाने का प्रावधान है, लेकिन समय के साथ पुलिस को छोड़कर सभी निदेशालय ध्वस्त हो चुके हैं. विलुप्त हो चुका है स्वास्थ्य निदेशालय पूर्व डीजीपी ने कहा कि पुलिस निदेशालय खाका स्वरूप ही सही लेकिन बचा हुआ है. क्योंकि इसकी संरचना एक कानून के तहत की गई है.
उन्होंने लिखा कि इसे सरकारी आदेश से निरस्त नहीं किया जा सकता है. अन्यथा इस निदेशालय का ढांचा भी ढूंढने से नहीं मिलता. यही कारण है कि कोरोना की इस त्रासदी में जब जनता और मीडिया दुखी होकर सवाल पूछती है तो जवाब देने के लिए मंत्री आते हैं या हॉस्पिटल के डॉक्टर. स्वास्थ्य निदेशालय जो क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लेता है. वह विलुप्त हो चुका है. यह अदृश्य रहता है. प्रश्न पास होकर सीधे अस्पताल प्रबंधन के पास आ जाता है. बहरहाल सरकार का जो भी स्तर नीतिगत निर्णय ले कर क्रियान्वयन कर रहा है उसे समाज और मीडिया के सामने सवालों के उत्तर देने के लिए आना चाहिए.