ओबीसी आरक्षण पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान सरकार पर हमलावर रहा समूचा विपक्ष

ओबीसी पर राज्यों के अधिकार बहाल करने संबंधी 127वें संविधान संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में बुधवार को चर्चा के दौरान विपक्ष ने जबर्दस्त हमलावर तेवर अपनाए

Update: 2021-08-11 17:22 GMT

ओबीसी पर राज्यों के अधिकार बहाल करने संबंधी 127वें संविधान संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में बुधवार को चर्चा के दौरान विपक्ष ने जबर्दस्त हमलावर तेवर अपनाए। चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार से पूछा कि फिर पिछड़ी जातियों की जनगणना से सरकार पीछे क्यों हट रही है? ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने सामाजिक जनगणना कराने और आरक्षण की 50 फीसद की सीमा हटाने की मांग रखी। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि राज्यों को जातियों की सूची बनाने का अधिकार होने का फायदा तब तक प्राप्त नहीं हो सकता, जब तक आरक्षण की अधिकतम सीमा को बढ़ाने का उन्हें अधिकार नहीं मिल जाता।

केंद्रीय संस्थानों में नहीं भरे जा रहे ओबीसी के आरक्षित पद : सपा
संविधान संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा करते हुए प्रोफेसर यादव ने आशंका जताई कि ओबीसी कोटे से तीन प्रमुख जातियों को बाहर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यादव, कुर्मी और गुर्जर को सूची से निकाला जा सकता है और यह काम राज्य विधानसभा चुनाव से पहले हो सकता है। सपा नेता ने कहा कि जातिगत जनगणना में उनकी शिक्षा, मकान और अन्य सभी तरह की जानकारियां जुटाई जानी चाहिए, ताकि उसके अनुरूप नीतियां बनाई जा सकें। सदन का ध्यान खींचते हुए उन्होंने बताया कि देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भरने में जबर्दस्त कोताही बरती जा रही है। इस बारे में उन्होंने विस्तार से आंकड़े भी पेश किए।
जातिगत जनगणना और आरक्षण सीमा बढ़ाने पर दिया जोर
जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सरकारी विभागों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित पदों को भरने की तत्काल पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में ओबीसी वर्ग के लोगों के कल्याण की नीतियां तभी बन सकती हैं, जब उनकी जनगणना समय पर कराई जाए। राजद नेता मनोज कुमार झा और राकांपा की वंदना चौहान ने भी पिछड़े वर्ग के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए उनकी जनगणना कराने पर जोर दिया। आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आरक्षण सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो यह विधेयक महज दिखावा बनकर रह जाएगा। इसे आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लाया गया है। शिरोमणि अकाली दल के सरदार बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा, 'वर्ष 1947 के बाद यह पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को अधिकार दिए हैं।'


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