नई दिल्ली: चुनाव आयोग को मतदाता सूची को दुरुस्त करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। ईसी ने पिछले सात महीनों में इस लिस्ट से करीब 10 मिलियन (एक करोड़) डुप्लिकेट एंट्रीज को या तो डिलीट कर दिया है या फिर उनमें सुधार किया है। जनसांख्यिकीय या फोटोग्राफिक रूप से समान एंट्रीज को हटाकर मतदाता पहचान पत्रों को सही किया गया है। डुप्लिकेट एंट्रीज को हटाना ECI का मुख्य फोकस रहा, क्योंकि यह वोटर्स का डिजिटल डेटाबेस बनाना चाहता है।
चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 1 अगस्त से आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने की इजाजत दी है। विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है। इनका कहना है कि यह वोटर्स के डेमोग्राफिक मैपिंग की अनुमति देगा और डेटा प्राइवेसी को लेकर भी चिंता बढ़ेगी।
अधिकारियों ने बताया कि 1,191,191 डेमोग्राफिकली समान एंट्रीज की पहचान की गई और उनमें से 927,853 को हटा दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि डीएसई (जनसांख्यिकीय रूप से समान प्रविष्टियां) गणना संबंधित राज्यों के सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) की ओर से की जाती है। इसके बाद बूथ स्तर पर इसका सत्यापन किया जाता है। चुनाव आयोग किसी भी एंट्री को खुद से नहीं हटाता।
अधिकारी ने कहा, 'चुनाव आयोग ने 31,889,422 समान फोटोग्राफिक एंट्रीज की पहचान की और 9,800,412 को हटा दिया। पीएसई (फोटोग्राफिक रूप से समान प्रविष्टियां) गणना दो चरणों में की गई। पहले फेज में 2022 में ड्राफ्ट पब्लिकेशन के प्रकाशन से पहले मतदान वाले पांच राज्यों की गणना की गई। दूसरे चरण में शेष 32 राज्यों के लिए सार्वजनिक उपक्रमों की गणना की गई।