जामा मस्जिद का गुंबद गिरा, सैयद अहमद बुखारी ने एएसआई की महानिदेशक को लिखा पत्र, जानें क्या कहा?

Update: 2022-06-01 03:01 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली में सोमवार की शाम आई आंधी और तेज बारिश के दौरान ऐतिहासिक जामा मस्जिद का गुंबद क्षतिग्रस्त हो गया था. जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अब इसकी मरम्मत कराने की मांग को लेकर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ASI को पत्र लिखा है. जामा मस्जिद के शाही इमाम ने ASI से क्षतिग्रस्त गुंबद की जल्द मरम्मत कराने की मांग की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ASI को लिखे पत्र में इमाम बुखारी ने कहा है कि जब मस्जिद का निर्माण हुआ था, ये 12 से 15 फीट का गुंबद भी उसी समय का है. उन्होंने एएसआई की महानिदेशक वी विद्यावती को लिखे पत्र में ये भी कहा है कि तेज आंधी के दौरान गुंबद कई हिस्सों में टूट गया. गुंबद के कुछ हिस्से मुख्य गुंबद के नीचे गिर गए जबकि अभी भी एक भारी-भरकम हिस्सा अटका हुआ है जो कभी भी गिर सकता है.
इमाम बुखारी ने ये भी कहा है कि गुंबद का क्षतिग्रस्त होकर ऊपर ही अटका हिस्सा गिरा तो इससे सामने की दीवार को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने आम लोगों के प्रवेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देने की जानकारी देते हुए कहा है कि अभी परिसर में नमाज के लिए भी लोगों को आने की अनुमति नहीं दी जा रही है. गुंबद के आसपास के इलाके में किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा है. मस्जिद के अंदर केवल सौ लोगों को ही आने की इजाजत दी जाएगी.
इमाम बुखारी ने कहा कि इतनी भीषण आंधी अपने पूरे जीवन में नहीं देखी थी. डर से लोग इधर-उधर भाग रहे थे. महिलाएं और बच्चे रोते-बिलखते जहां जगह मिल गई, वहीं छिप गए. उन्होंने कहा कि गुंबद का क्षतिग्रस्त हिस्सा गिरने के कारण इसकी चपेट में आकर दो-तीन लोग घायल हुए लेकिन ज्यादातर लोग सुरक्षित थे. बुखारी ने गुंबद का कलश क्षतिग्रस्त हो जाने पर दुख भी जताया.
उन्होंने ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण में विशेज्ञता रखने वाली एक कंपनी की ओर से क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत के लिए संपर्क किए जाने की भी जानकारी दी. सैयद अहमद बुखारी ने ये भी बताया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान के जामा मस्जिद पहुंचकर जानकारी ली. अमानतुल्लाह खान अधिकारियों के साथ जामा मस्जिद की छत पर भी गए थे.
गौरतलब है कि सैलानियों के आकर्षण का केंद्र इस जामा मस्जिद का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने कराया था जिसका नाम मस्जिद-ए-जहां नुमा रखा गया था. शाहजहां ने खुद 6 अक्टूबर 1950 को इसके निर्माण का शिलान्यास किया था जो 1656 में बनकर तैयार हुई.
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