उत्तर प्रदेश। आगरा में सिपाही सागर सिंह 5 साल से कोमा में है. वो नोएडा में ड्यूटी के दौरान घायल हो गए थे जिसके बाद आजतक कोमा में है. सागर के इलाज और कोमा से बाहर लाने की जिम्मेदारी उनके बूढ़े पिता विशंभर सिंह के कंधों पर आ पड़ी है और इस दौरान उनका खेत तक बिक गया. पुलिस विभाग ने मदद करने की जगह सिपाही सागर सिंह को नौकरी से सेवानिवृत कर दिया.
अब सागर के पिता विशंभर सिंह बीते 5 साल से अपने बेटे को बचाने और कोमा से बाहर लाने के लिए कई अस्पताल और डॉक्टरों के चक्कर काट चुके हैं. बेटे को बचाने के लिए विशंभर सिंह ने पैसा पानी की तरह बहाया और अब तक करीब 65 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. बेटे के इलाज के लिए उन्होंने यह पैसा अपना खेत-खलिहान बेचकर इकट्ठा किया था जो अब खत्म हो चुका है. उनकी परचून की दुकान से जो आमदनी होती है उसमें से भी एक बड़ा हिस्सा बेटे के इलाज में चला जाता है.
बेटे की स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद थक हारकर विशंभर सिंह मदद मांगने पुलिस कमिश्नर डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह के ऑफिस पहुंचे. विशंभर सिंह ने पुलिस कमिश्नर को अपनी व्यथा सुनाकर मदद की गुहार लगाई. विशंभर सिंह ने पुलिस कमिश्नर को बताया कि उनका बेटा सिपाही सागर सिंह 5 साल से कोमा में है. सागर सिंह 2016 में पुलिस में भर्ती हुआ था और वह गौतम बुध नगर के थाने में तैनात था. 2017 में ड्यूटी के दौरान वो मोटरसाइकिल पर सवार होकर थाने से निकला और नांगला कट के यू टर्न पर एक स्कूटी से टकरा गया.
टक्कर में सागर सिंह के सिर पर चोट लगी और वह बेहोश हो गया. उसे इलाज के लिए वहां भर्ती कराया. पुलिस ने विशंभर सिंह को एक्सीडेंट और सागर सिंह के घायल होने की सूचना दी. विशंभर सिंह अपने घायल बेटे के पास आगरा से नोएडा पहुंचे.नोएडा के अस्पताल में सागर सिंह का इलाज हुआ लेकिन कोमा से बाहर नहीं आने पर पिता उसे लेकर आगरा के अस्पताल पहुंच गए. इलाज कराने के बाद भी सागर सिंह कोमा से बाहर नहीं निकल पाए हैं. इस बीच पुलिस विभाग ने 2021 में सागर सिंह को अनफिट मानते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया. इसके साथ ही सागर सिंह की 3080 रुपये पेंशन जारी कर दी है. सागर के इलाज में हर महीने 15 से 18000 रुपये खर्च हो रहा है. विशंभर की बात को पुलिस कमिश्नर ने ध्यान से सुना और पेंशन को सही करवाने का आश्वासन दिया है.