मुर्गे की तेरहवीं का फैसला, सामने आई पूरी कहानी

बकरी के बच्चे को बचाने के चक्कर में कुत्ते से पालतू मुर्गा लाली भिड़ गया.

Update: 2022-07-21 07:05 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में बकरी के बच्चे को बचाने के चक्कर में कुत्ते से पालतू मुर्गा लाली भिड़ गया. कुत्ते से आधे घंटे तक मुर्गा लड़ाई करता रहा. करीब आधे घंटे बाद पहुंचे मालिक ने कुत्ते और मुर्गे की लड़ाई को छुड़ाया. जब तक मालिक पहुंचा, तब तक काफी देर हो चुका था. मालिक के हाथों में लाली ने दम तोड़ दिया.

आजतक की खबर के मुताबिक मुर्गे लाली की मौत से आहत होकर मालिक ने शव का अंतिम संस्कार कर दफन कर दिया और मुर्गे की तेरहवीं का ऐलान कर दिया. रविवार को विधि विधान के साथ सिर मुंडवाया ने तो उसके एक दिन बाद मंगलवार 20 जुलाई को तेरहवीं में लगभग 500 लोगो ने भोज किया और मुर्गे की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.
प्रतापगढ़ के फतनपुर कोतवाली क्षेत्र के बेहदौल खुर्द गांव निवासी डॉक्टर सालिक राम सरोज आज से पांच साल पहले मुर्गे को घर लाए थे और मुर्गे को इतना लगाव करने लगे कि उसे घर का सदस्य मान लिए. मुर्गा भी परिवार में घुल मिल गया. परिजनों ने उसका नाम लाली रख दिया.
इसके बाद लाली के भी खान पीन का ध्यान रखने लगे थे. 8 जुलाई को दोपहर का वक्त था कि सालिकराम अपनी डिस्पेंसरी पर चले गए थे. घर पर बकरी का बच्चा बंधा था और बाहरी कुत्ता हमला करना चाहा. लाली ने देखा और मेमने को बचाने के लिए कूद पड़ा और लगभग आधा घंटे तक लड़ता रहा.
तभी दोपहर में खाना खाने के लिए घर पहुंचे डॉक्टर सालिक राम ने कुत्ते को भगाया. गंभीर रूप से घायल लाली ने उनके हाथों में दम तोड़ दिया. उसके मरते ही मालिक सालिक राम रो पड़े और उसको जिगर का टुकड़ा कहकर अंतिम संस्कार और तेरहवीं का ऐलान कर दिया. मंगलवार को तेरहवीं हुई. सबको प्रसाद ग्रहण कराया गया.
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