झोलाछाप डॉक्टर की वजह से युवती की मौत...बुखार से पीड़ित को चढ़ा दीं ग्लूकोज की 15 बोतलें...जाने कहा हुआ ऐसा?

झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही

Update: 2021-05-16 01:48 GMT

फाइल फोटो 

जैसे-जैसे कोरोना का कहर ग्रामीण इलाकों की तरफ बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे मौत के नए मामले सामने आ रहे हैं. कई ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही के चलते भी मरीज दम तोड़ रहे हैं. अब ताजा मामला ग्रेटर नोएडा के जेवर क्षेत्र से आया है जहां झोलाछाप डॉक्टर ने लापरवाही बरतते हुए एक 32 साल की युवती को लगातार 15 बोतल ग्लूकोस चढ़ा दिया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और बाद में उसने दम तोड़ दिया.

दरअसल 14 मई को गौतमबुद्ध नगर देवर इलाके के दाऊजी मोहल्ले में रहने वाली रतनलाल की पुत्री अलका को तेज बुखार की शिकायत हुई थी. बुखार की शिकायत होने के बाद अलका को पास के ही एक डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने युवती का कोविड टेस्ट भी नहीं कराया और उसे ग्लूकोज की बोतले चढ़ाता रहा. उसे कुल 15 बोतले चढ़ाई गईं. इस दौरान अलका की हालत लगातार बिगड़ती गई. इसके बावजूद डॉक्टर उसका गलत इलाज करता रहा. जब युवती की हालत ज्यादा खराब होने लगी तो डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद अलका के परिजन उसे जेवर के प्राथमिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. जांच के बाद पता चला कि अलका की पहले ही मौत हो गई थी.
इस लापरवाही से हुई मौत की खबर सुनते ही इलाके के आला अधिकारी सक्रिय हो गए और आनन-फानन में पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए. जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर सुहास एलवाई ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जेवर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को डॉक्टर के खिलाफ जांच कर मामला दर्ज करने के लिए कहा है. वैसे कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई गांव से ऐसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं जहां पर जानकारी के आभाव में लोग भी अपना ठीक इलाज नहीं करवा पा रहे हैं और कई झोलाछाप डॉक्टर भी सिर्फ मासूम जिंदगियों के साथ खेलने का काम कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की कोरोना स्थिति की बात करें तो अब शहरों में मामले काफी कम होते दिख रहे हैं, संक्रमण दर में भी गिरावट आ गई है. लेकिन बात जब यूपी के गांवों की आती है तो स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. गांवों में मामले तो ज्यादा आ ही रहे हैं, इसके अलावा मौतें भी काफी ज्यादा होती दिख रही हैं. इसी वजह से प्रशासन की तरफ से अब टेस्टिंग बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है और समय रहते संक्रमित मरीजों के इलाज की बात कही जा रही है.
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