भोपाल: पेंच टाइगर रिजर्व की 'सुपर टाइग्रेस मॉम' कॉलर वाली बाघिन की शनिवार को मौते हो गई। 17 साल की यह बाघिन तीन-चार दिनों से बीमार चल रही थी। बाघ मुन्ना के बाद सबसे ज्यादा उम्र का रिकॉर्ड इसी बाघिन के नाम दर्ज है। मप्र टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में कॉलर वाली बाघिन की महत्वपूर्ण भूमिका है। उसके नाम सबसे अधिक संख्या में प्रसव और शावकों के जन्म का रिकॉर्ड भी है। सितंबर 2005 में जन्मी यह बाघिन 8 बार में 29 शावकों को जन्म दे चुकी थी। उसके नाम पर एक साथ पांच बच्चों को जन्म देने का भी रिकार्ड दर्ज है।
पेंच टाइगर रिजर्व में कॉलर वाली बाघिन को 11 मार्च 2008 को बेहोश कर देहरादून के विशेषज्ञों ने रेडियो कॉलर पहनाया था। इसके बाद से पर्यटकों के बीच वह काॅलर वाली के नाम से प्रसिद्ध हो गई। उसकी मां को टी-7 बाघिन (बड़ी मादा) और पिता को चार्जर के नाम से जाना जाता था।
नेचरोलॉजिस्ट पंकज जायसवाल ने बताया कि कॉलर वाली बाघिन को पर्यटकों ने 27 जनवरी 2019 को अपने बच्चों को मुंह में दबाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए कैमरे में कैप्चर किया था। इसका यह फोटो दुनियाभर में काफी चर्चित रहा। यह फोटो तकरीबन 1 लाख बार रिट्वीट हुआ था।
पर्यटकों की पहली पसंद: पेंच राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने वाले पर्यटकों में बाघिन खासी मशहूर थी। आसानी से पर्यटकों को बाघिन नजर आती थी, जिससे पर्यटकों को कभी मायूस नहीं होना पड़ता था। नये साल में भी बाघिन ने पर्यटकों को रोमांचित किया था, जिसकी कई तस्वीर सामने आई थी। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में फायर लाइन क्षेत्र में करीब दो घंटे तक बाघिन एरिया मार्किं करते पर्यटकों को नजर आई थी। गौरतलब है कि पेंच राष्ट्रीय उद्यान में 9 सितंबर 2005 में पहली बार कालरवाली बाघिन को देखा गया था, जिसकी उम्र लगभग 17 साल हो चुकी थी।उम्रदराज होने के बाघिन की शारीरिक कमजोरिया नजर आने लगी थी।विशेषज्ञों का मानना है कि, बाघ की औसत उम्र 12 साल के आसपास होती है, ऐसे में कालरवाली बाघिन अपना जीवनकाल पूरा कर चुकी थी।