कोरोना के बीच बढ़ रहा निपाह वायरस का खतरा, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
कोरोना संक्रमण के मामलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है।
कोरोना संक्रमण के मामलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। कोरोना के दैनिक मामलों में फिर से उछाल देखने को मिल रहा है। देश में केरल सबसे प्रभावित राज्य है, जहां कोरोना के दैनिक मामले सबसे ज्यादा सामने रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बीच हालिया रिपोर्टस ने चिंता और बढ़ा दी है। हालिया रिपोर्टस के मुताबिक केरल में कोरोना के साथ निपाह वायरस भी लोगों के लिए मुसीबतों का कारण बन रहा है। निपाह ने राज्य में एक बच्चे की जान भी ले ली है, कुछ स्वास्थ्यकर्मियों में भी संक्रमण के लक्षण देखने को मिले हैं। निपाह संक्रमण की जानकारी मिलते ही राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
कोरोना संक्रमण के जारी कहर के बीच निपाह वायरस के सामने आए मामलों ने सभी लोगों की चिंता बढ़ा दी है। साल 1998 में वैज्ञानिकों ने सबसे पहले निपाह वायरस के बारे में बताया था। साल 2001 से 2008 के बीच पश्चिम बंगाल में इस वायरस का कहर देखने को मिल चुका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक निपाह वायरस जानवरों (जैसे चमगादड़ या सुअर) या दूषित खाद्य पदार्थों से मनुष्यों में फैल सकता है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में निपाह वायरस के संक्रमण के बारे में और विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
निपाह वायरस के बारे में जानिए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह वायरस के संक्रमण के लक्षण लोगों में एसिम्टोमैटिक से लेकर गंभीर श्वसन संक्रमण तक की समस्या पैदा कर सकते हैं। कुछ रोगियों में घातक एन्सेफलाइटिस की समस्या भी हो सकती है। निपाह संक्रमण के कारण मृत्युदर 40-75 फीसदी के बीच देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चमगादड़ों से इस संक्रमण के फैलने का खतरा सबसे अधिक हो सकता है। चूंकि वायरस का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में हो सकता है, इसी को ध्यान में रखते हुए लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
निपाह संक्रमण के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक संक्रमण का इक्यूवेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक का अंतराल) 4 से 14 दिनों तक का हो सकता है। कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 45 दिनों तक का भी समय लग सकता है। संक्रमितों को शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। गंभीर स्थिति में निमोनिया और श्वसन संबंधी समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है। कुछ रोगियों को एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ सकते हैं। स्थिति बिगड़ने से रोगी कोमा में भी जा सकते हैं।
निपाह संक्रमण का इलाज
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक निपाह वायरस के संक्रमण का फिलहाल कोई विशिष्ट दवा या उपचार उपलब्ध नहीं है। फिलहाल इस संक्रमण के रोकथाम के लिए टीके भी नहीं हैं। रोगियों के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर दवाइयां और अन्य उपचार शुरू कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के सुझावों के मुताबिक संक्रमण की गंभीर स्थिति जैसे श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं में रोगी को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए। संक्रमण से बचाव के उपायों को प्रयोग में लाकर लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
निपाह संक्रमण से बचाव के उपाय
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक चूंकि वर्तमान में, निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है, ऐसे में इससे बचाव करना सबसे आवश्यक माना जाता है। संक्रमण से बचाव के लिए सुअर फार्मों की सफाई और कीटाणुशोधन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि किसी प्रकोप का संदेह है, तो पशुओं को तुरंत बाहर कर देना चाहिए। चमगादड़ों के संपर्क वाली चीजों को छूने से बचना चाहिए। फलों- सब्जियों के इस्तेमाल से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें। हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है।