हिंसा का गुनहगार...पुलिस के हत्थे चढ़ा, ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीता रहा
पुलिस को चकमा देकर 16 दिनों तक छिपा रहा।
हल्द्वानी: हल्द्वानी हिंसा के बाद से फरार नैनीताल पुलिस का वांटेड अब्दुल मलिक पुलिस से बचने के लिए देश के आठ राज्यों में भागता रहा। हर राज्य और हर शहर में छिपने लिए उसने अपने परिचित और संबंधों का सहारा लिया। वह राज्यों की पुलिस को चकमा दे कर ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीता रहा। यहां तक की उसने न तो एक दिन कोई होटल किराए पर लिया और नहीं बैंकों से कोई लेनदेन किया। यही कारण रहा कि पुलिस को उसके होटल बुकिंग और बैंक ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड नहीं मिला। जिसके चलते वह पुलिस को चकमा देकर 16 दिनों तक छिपा रहा।
पुलिस के शिकंजे में फंसने से बचने के लिए अब्दुल मलिक हल्द्वानी से निकलकर दिल्ली पहुंचा। यहां से वह पहले गुजरात, फिर मुंबई, वहां से चंडीगढ़ और फिर भोपाल गया। इतने राज्यों की सीमाओं को मलिक ने न तो पानी के रास्ते पार किया और न ही कहीं की हवाई यात्रा तय की। भागने के लिए उसने अपने परिचितों और रिश्तेदारों की निजी गाड़ी का सहारा लिया। इसके बाद हिंसा के 8वें दिन ही गृह मंत्रालय की ओर से अब्दुल मलिक के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी हो चुका था। इसके बाद भी देश के आठ राज्यों की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर बचने में कामयाब रहा। अब पुलिस ने उन सभी का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है जहां-जहां मलिक ने छिपने के लिए शरण ली थी। हालांकि मलिक आर्थिक और राजनीतिक स्तर से कितना मजबूत है यह बात जगजाहिर है। उसके संबंध और रसूख का अंदाजा पुलिस को पहले से ही था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब्दुल मलिक गिरफ्तारी से बचने के लिए जिस-जिस राज्य और शहर में गया वहां के लिए उसने अलग-अलग गाड़ियों का सहारा लिया। दिल्ली से लेकर गुजरात, चंडीगढ़ और भोपाल तक अपने रिश्तेदारों, परिचितों, व्यापारिक दोस्तों और परिचितों की मदद ली।
पुलिस शुरुआत से ही अब्दुल मालिक के पीछे दौड़ रही थी। अंदेशा था कि उसका वांटेड बेटा भी साथ होगा। जब धीरे-धीरे मालिक और उसके बेटे की तलाश आगे बढ़ी तो पता चला कि दोनों साथ नहीं अलग-अलग भागे हैं। मालिक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब वांटेड अब्दुल मोईद की तलाश में जुट गई है। वहीं कोतवाली पुलिस ने मालिक की पत्नी साफिया तलाश भी शुरू कर दी है।
हिंसा के बाद से ही अब्दुल मलिक पुलिस के गिरफ्त से बचता फिर रहा था। लुकआउट सर्कुलर और संपत्ति कुर्क की कार्रवाई के बाद भी जब गिरफ्तारी नहीं हो पाई तो एसएसपी ने मलिक और उसके बेटे की तलाश में दिल्ली-चंडीगढ़, मुंबई-गुजरात,भोपाल से अन्य शहरों में टीम लगा दी।
पुलिस का सारा डिजिटल नेटवर्क सिस्टम भी अब्दुल मलिक को गिरफ्तार करने में फेल रहा। हिंसा वाले दिन ही पुलिस ने एक साइबर टीम को सर्विलांस के काम पर लगा दिया था। मलिक के फोन नंबर की सीडीआर खंगाली गई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मलिक से जुड़े कुछ करीबियों और रिश्तेदारों के साथ-साथ उसके परिचितों के मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लगाए गए। मलिक के बेटे मोईद और उसकी पत्नी का भी फोन सर्विलांस पर था। इतनी निगरानी के बाद भी पुलिस का डिजिटल तंत्र फ्लॉप रहा। मलिक ने न तो अपने पुराने मोबाइल और उसमें पड़े सिम का इस्तेमाल किया और न ही नए फोन और सिम के इस्तेमाल की बात अभी तक सामने आई है। आखिर में पुलिस के काम आया तो केवल पुराना मुखबिर तंत्र।