देश की अखंडता के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान के लिए देश उनका ऋणी रहेगा: अमित शाह

Update: 2023-07-06 06:11 GMT
नई दिल्ली: भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि चाहे कश्मीर हो या फिर बंगाल, डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए जो विराट योगदान दिया, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।
शाह ने आगे यह भी कहा कि उन्होंने देश में पहली औद्योगिक नीति की नींव रख कर भारत की प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त किया। अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, " श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन से सिखाया कि राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं होता। चाहे कश्मीर हो या फिर बंगाल। डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए जो विराट योगदान दिया, उसके हम सदैव ऋणी रहेंगे। उन्होंने पहली औद्योगिक नीति की नींव रख भारत की प्रगति के मार्ग प्रशस्त किये। डॉ. मुखर्जी का राष्ट्र-समर्पण और दूरदर्शिता हमें सदैव मार्गदर्शित करेगी। देश के ऐसे महान सपूत की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।"
आपको बता दें कि, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजाद भारत में बनने वाली पहली सरकार में केंद्रीय मंत्री थे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मतभेद के कारण उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मुखर्जी ने वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी जिसका विलय आगे चलकर आपातकाल के खिलाफ बनी विपक्षी दलों की एकता के मद्देनजर जनता पार्टी में किया गया और आगे चलकर यही 1980 में भारतीय जनता पार्टी बना।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने के विरोध में आंदोलन चलाते हुए यह नारा भी दिया था कि एक देश में दो विधान,दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। जम्मू कश्मीर में बिना परमिट के घुसने और आंदोलन करने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और श्रीनगर की जेल में ही उस समय उनका निधन हो गया था,जिस पर आज भी भाजपा सवाल उठाती है।
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