बचपन बचाओ आंदोलन की लगातार की गई कोशिशें हुईं कामयाब

Update: 2023-04-06 08:31 GMT

दिल्ली. अनाजमंडी अग्निकांड के लंबे समय से विचाराधीन मामले में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा संस्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने एक बड़ी सफलता पाई है। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 मार्च को बताया कि 4.63 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि सभी 45 मृतकों के परिवारीजनों, 12 बाल मजदूरों सहित 13 घायल व्यक्तियों में वितरित की जा चुकी है। 4 अन्य व्यक्तियों को एक एक लाख रुपये के भुगतान की प्रक्रिया जारी है।

8 दिसंबर 2019 की सुबह उत्तरी दिल्ली स्थित अनाजमंडी में बनी कई अवैध फैक्ट्रियों/निर्माण इकाइयों, मकानों में से एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई थी। इस अग्निकांड में बहुतों के घायल होने के साथ ही 45 लोग मारे गए जिनमें 12 बच्चे शामिल थे। घटना की प्रतिक्रिया में बीबीए ने तत्काल एक रिट याचिका दायर की। बचपन बचाओ आंदोलन ने अपनी रिट याचिका में अवैध मकानों में बनाए गए गैरकानूनी कारखानों और उनकी ज्वलनशील सामग्री से भरी बेहद छोटी इकाइयों में काम करने वाले बच्चों की दुर्दशा को उजागर करते हुये दुर्घटना के प्रभावितों, पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की मांग की थी। इसके अलावा, मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर दिल्ली में मारे गए छापों,बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों की संख्या और वस्तुस्थिति से अवगत कराती हुई एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे। इस रिपोर्ट में बीबीए द्वारा बताई गई दिल्ली की 183 संवेदनशील जगहें पर जहां बाल श्रम होने की आशंका है, की गई कार्यवाई का विशेष रूप से जिक्र हो।

11 जनवरी, 2023 के एक आदेश के तहत, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि दिल्ली के मुख्य सचिव और हर जिले के डीसीपी अपनी देखरेख में तथा श्रम विभाग, एमसीडी, डीडब्ल्यूसीडी के साथ तालमेल या समन्वय रखते हुए समितियों का गठन करें ताकि इनके द्वारा उन परिसरों का निरीक्षण किया जा सके जहां औद्योगिक इकाइयां बाल मजदूरों को काम पर रख रही हैं।

न्यायालय के इस आदेश के बाद, अधिकारियों के कार्यों में तेजी आई जिसके चलते अब तक कुल 13 छापे मारे गए। इनके दौरान 205 बच्चों को छुड़ाए जाने के साथ 101 कारखानों को सील किया गया। इसके अलावा, 35 जगहों पर बाल मजदूरों की मुक्ति के लिये बचाव-पूर्व बैठकें हो चुकी हैं और जल्द छापे मारने की योजना है, उम्मीद है कि अगले 2-3 महीनों के भीतर 150 से 200 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करा लिया जाएगा।

बीबीए बनाम जीएनसीटीडी मामले में बीबीए का प्रतिनिधित्व करने वाली, बचपन बचाओ आंदोलन की कानूनी सलाहकार, रचना त्यागी ने निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा, “हम अदालत के फैसले पर आभार व्यक्त करते हैं। दरअसल इस केस में यह प्रगति इस कठिन दौर में प्रभावित परिवारों को आवश्यक पुनर्वास और सहायता सुनिश्चित करती है।

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