एक्सपायर्ड वैक्सीन लगाए जाने का दावा गलत, केंद्र सरकार ने जारी किए फैक्ट

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Update: 2022-01-03 15:07 GMT

नई दिल्ली: केंद्रीय सरकार ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि देश में कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत एक्सपायर्ड टीके लगाए जा रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन आरोपों को 'झूठा और भ्रामक' करार दिया है. मंत्रालय ने बताया कि CDSCO ने पहले ही कोवैक्‍सीन और कोविशील्ड की शेल्‍फ लाइफ को बढ़ाकर क्रमश: 12 महीने और 9 महीने कर दिया था.

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि भारत में COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत एक्सपायर्ड टीके लगाए जा रहे हैं. यह गलत और भ्रामक है और अधूरी जानकारी पर आधारित है.
मंत्रालय कहा ने कहा, 25 अक्टूबर 2021 को भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के पत्र के जवाब में, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ को नौ महीने से बढ़ाकर 12 महीने करने की मंजूरी दी थी. इसी तरह, 22 फरवरी, 2021 को ड्रग रेगुलेटर ने कोविशील्ड की शेल्फ लाइफ छह महीने से बढ़ाकर 9 महीने कर दी थी.
मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत स्थिरता अध्ययन डेटा के व्यापक विश्लेषण और परीक्षण के आधार पर सीडीएससीओ टीकों का शेल्फ जीवन बढ़ाता है.
क्या है मामला
दरअसल, 3 जनवरी से किशोरों का टीकाकरण शुरू किया गया है. इसी बीच एक वायरल लेटर को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. Twitter पर नवनीता नामक महिला ने लिखा, 'मेरा बेटा वैक्सीन का पहला डोज लगवाने गया, लेकिन मैंने पाया कि इस वैक्सीन की एक्सपायरी डेट नवंबर में ही खत्म हो चुकी है. लेकिन फिर एक लेटर दिखाया गया, जिसमें बताया गया कि वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ा दी गई है! आखिर कैसे, क्यों, किस आधार पर? स्टॉक क्लियर करने के लिए बच्चों पर प्रयोग किया जा रहा है क्या?'
इस ट्वीट के साथ ही प्रमुख वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक का एक ट्वीट भी वायरल हुआ है, जिसमें वैक्सीन स्टॉक को री-लेबल करने की अनुमति दी हुई है.
पहले भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की एक्सपायरी अवधि 9 महीने थी, जिसे अब बढ़ाकर 12 महीने किया गया है. 
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