बच्चे को निकला फोड़ा, डॉक्टर ने पांच मिनट में पांच इंजेक्शन लगाए, मौत के बाद कोहराम

पुलिस ने बच्चे का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से कराने के लिए डीएम को चिट्ठी लिखी है।

Update: 2024-07-10 07:58 GMT

सांकेतिक तस्वीर

कानपुर: कानपुर के बिल्‍हौर कस्बे के नगर पालिका चौराहे पर मंगलवार को एक बंगाली डॉक्टर ने ढाई साल के बच्चे के फोड़े के ऑपरेशन के दौरान पांच मिनट में पांच इंजेक्शन लगा दिए। इंजेक्शन लगते ही बच्चे के मुंह से झाग निकला और उसने दम तोड़ दिया। बच्चे को प्राइवेट अस्पताल रेफर कर डॉक्टर क्लीनिक बंद कर फरार हो गया। गुस्साए परिजनों ने बच्चे के शव को थाने के गेट पर रखकर एक घंटे तक हंगामा किया। पुलिस ने बच्चे का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से कराने के लिए डीएम को चिट्ठी लिखी है। कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
कस्बे के अब्दुल कलाम आजाद नगर मोहल्ले का मनीष श्रमिक है। परिवार में पत्नी बबली बड़ा बेटा सूर्यांश और छोटा ढाई साल का बेटा दिव्यांश था। मनीष के मुताबिक दिव्यांश को एक सप्ताह पहले कमर के नीचे फोड़ा निकला था। मंगलवार दोपहर वह पालिक चौराहे पर डॉ. बंगाली को दिखाने गए। डॉक्टर ने क्लीनिक पर ही बच्चे का ऑपरेशन शुरू कर दिया, कहा पांच मिनट में ठीक हो जाएगा।
परिजनों ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि डॉक्टर ने बच्चे के फोड़े की चीरफाड़ शुरू की तो बच्चा तेजी से चीखने लगा। इतने में ही डॉक्टर ने पांच मिनट के अंतर में पांच इंजेक्शन लगा दिए। इंजेक्शन लगते ही चंद मिनटों में बच्चे के मुंह से झाग आया और उसकी मौत हो गई।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (1) में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा चिकित्सा प्रक्रिया करते समय लापरवाही से होती है, तो उसे दो वर्ष तक की अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा।
डॉक्टर ने बच्चे की हालत नाजुक बताकर उसे प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया। इसके बाद डॉक्टर क्लीनिक बंद कर फरार हो गया। प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर ने बच्चे को देखते ही मृत घोषित कर दिया। बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने थाने के बाहर शव रख हंगामा किया। गुस्से में डॉक्टर को बम से उड़ाने की धमकी तक दे डाली। इंस्पेक्टर बिल्हौर केशव कुमार तिवारी ने उन्हें शांत कराया। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि डॉक्टर ने बोर्ड में खुद को बीईएमएस लिख रखा है। एसीपी बिल्हौर अजय कुमार त्रिवेदी ने कहा कि डॉक्टर पर लगे आरोपों व डिग्री की जांच कराई जाएगी। दोषी होने पर नए कानून के तहत एफआईआर होगी।
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