मंडप में बिना सात फेरे लिए विदा हुई दुल्हन, जानिए क्या है पूरा माजरा

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Update: 2021-04-08 06:34 GMT

परंपरा के प्रति प्रतिबद्ध्ता और कानूनी मजबूरी। इन दोनों कारणों से एक दुल्हन बिना शादी अपने ससुराल विदा कर दी गयी। शादी तब होगी जब समाज के प्रधान जेल से निकलकर आएंगे। तब तक दुल्हन होने वाले पति के साथ ससुराल में ही रहेगी। कुछ-कुछ लिव-इन-रिलेशनशिप की तरह। बुधवार को बिहार के बांका जिले के लौगांय पंचायत के कुशवाहा गांव में आदिवासी समाज की पंचायत के बाद बिना शादी विदाई का फैसला हुआ। दुल्हन बासमती मुर्मू के भाई दिनेश मुर्मू ने कहा कि प्रशासन से गुहार लगाई थी कि प्रधान को मुक्त कर दें, मगर ऐसा नहीं हुआ। आदिवासी परंपरा के तहत यह फैसला लेना पड़ा। बीडीओ अभिनव भारती ने कहा कि आवेदन मिला था। मगर, शराब मामले में प्रधान को जेल भेजा गया है। उन्हें जमानत कोर्ट से ही मिल सकती है। दरअसल, कुशाहा गांव के रसिकलाल मुर्मू की पुत्री बासमती मुर्मू की शादी बौसी थाना क्षेत्र के शोभा गांव निवासी अरविंद मंडल के साथ तय हुई थी। 5 अप्रैल को निर्धारित तिथि पर बारात आई। आदिवासी परंपरा के अनुसार गांव के प्रधान गोपाल सोरेन द्वारा शादी-विवाह की सारी रस्में पूरी की जानी थी। बिना प्रधान के आदिवासी समुदाय में शादी नहीं होती। इसी दौरान वहां पुलिस आ गई तथा घर से शराब मिलने के आरोप में प्रधान गोपाल सोरेन को गिरफ्तार कर ले गयी। प्रधान के बिना शादी टल गई और बारात वहीं रुकी रही। परंपरा यह है कि दूल्हा बिना शादी के लौट जाता तो दुल्हन को विधवा घोषित कर दिया जाता और फिर उसकी कहीं शादी नहीं होती।

चढ़ावे के लिए रखी थी शराब

ग्रामीण गीतलाल बेसरा, मदन सोरेन आदि का कहना है कि आदिवासी परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं को चढ़ावा में दारू यानी देसी शराब दिया जाता है। इसी को लेकर डेढ़-दो लीटर शराब घर में थी। वहीं पुलिस का कहना है कि 15 लीटर शराब बरामद हुई। प्रधान को छुड़वाने के लिए प्रशासन के दरवाजे तक गांव के लोग गए। दो दिन बारात गांव में रुकी रही। प्रधान की रिहाई न हुई तो लड़की और लड़का पक्ष सहित ग्रामीणों द्वारा विकल्प तैयार किया गया। बताया गया कि प्रधान के वापसी के बाद पुनः शादी की रस्में होगी।

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