याचिकाकर्ता पर नाराज हुई चीफ जस्टिस की बेंच, कहा- आजकल कोई भी व्यक्ति चाय-कॉफी पीते लगा देता है याचिका, ऐसा नहीं चलेगा, लगाया इतना जुर्माना

हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले रहा है लेकिन...

Update: 2021-05-11 12:08 GMT

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के सामने एक ऐसी जनहित याचिका भी सुनवाई के लिए आई जिसमें राजधानी दिल्ली की सभी रेडलाइट को खत्म करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से अपनी याचिका में दलील दी गयी थी कि रेडलाइट्स पर जो समय बर्बाद होता है. एम्बुलेंस समय पर एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंच पा रही हैं. याचिका में कहा गया था कि कोरोना काल में इससे मरीजों को दिक्कत हो रही है. लिहाजा कोर्ट की तरफ से इस मामले में निर्देश जारी किए जाएं कि जब तक दिल्ली पूरी तरह कोरोना से उबर नहीं जाती. रेडलाइट को खत्म कर दिया जाना चाहिए.

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने जब यह मामला सुना तो वो याचिकाकर्ता पर नाराज हो गए. उन्होंने पूछा कि यह याचिका किसने लगाई है. इस पर वकील ने बताया कि यह एक कानून का छात्र है जो फिलहाल एक एनजीओ के साथ काम कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि क्या आपको यह पता है कि हर रेड लाइट के साथ एक कॉरिडोर बना हुआ है जो खासतौर से एम्बुलेंस के लिए ही है. याचिकाकर्ता का कहना था कि दिल्ली में द्वारका और ऐसी कई जगह हैं जहां पर ट्रैफिक की काफी ज्यादा समस्या है. इससे एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती हैं लेकिन कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक लाइट को पूरी तरह से सस्पेंड कैसे किया जा सकता है जबकि यह मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत आती हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आजकल कोई भी व्यक्ति कॉफी पीते-पीते सोचता है कि ऐसा नहीं, वैसा होना चाहिए और बस यह सोचते-सोचते हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी जाती है. दिल्ली हाईकोर्ट में यह नहीं चलेगा. बिना किसी आधार की याचिका लगाए जाने के कारण हाईकोर्ट का कीमती समय बर्बाद होता है और कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए हम आप पर भी जुर्माना लगा रहे हैं. हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले रहा है लेकिन कोर्ट ने कहा कि हम इसकी इजाजत आपको नहीं देंगे और याचिकाकर्ता पर 2500 रुपये का जुर्माना लगा दिया. कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की रकम दिल्ली लीगल सर्विस को भेजी जाएगी.
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