बंदरों का आतंक, निजात पाने के लिए ITBP जवानों की अनोखी तरकीब
जवान भालू के वेश वाली पोशाक पहनकर आईटीबीपी परिसर के आसपास घूमते हैं।
पिथौरागढ़ (आईएएनएस)| उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट में बंदर लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। अब तक बंदर खेती को नुकसान पहुंचा रहे थे, लेकिन अब वे लोगों पर भी हमला करने लगे हैं। यहां तक कि घरों में घुसकर सामान भी उठाकर ले जा रहे हैं। ऐसे में मुसीबत बने बंदरों से छुटकारा पाने को लोग तरह-तरह के उपाय खोज रहे हैं। पिथौरागढ़ के डीडीहाट में आईटीबीपी जवानों ने बंदरों से निजात पाने को सबसे अनोखी तरकीब अपनाई है। जवान भालू के वेश वाली पोशाक पहनकर आईटीबीपी परिसर के आसपास घूमते हैं। बंदर उन्हें भालू समझकर जंगल की ओर भाग जाते हैं। डीडीहाट के मिर्थी में आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी तैनात है। यहां बंदरों ने जवानों के नाक में दम कर रखा है। बंदर कभी जवानों की बैरकों में घुस जाते, तो कभी मेस में घुसकर नुकसान पहुंचाते। कई जवान तो दिनभर बंदरों को ही भगाने में लगे रहते हैं। बंदर कुछ समय के लिए तो चले जाते, लेकिन थोड़ी देर में ही वे वापस लौट आते। आईटीबीपी जवानों ने बंदरों को दूर रखने के लिए भालू के वेश जैसी पोशाक तैयार कराई है। काले रंग की ड्रेस को पहनकर जब दो से तीन जवान आईटीबीपी परिसर में घूमते हैं तो बंदर डर कर भाग जाते हैं। आईटीबीपी जवानों के इस अनोखे तरीके से लोगों ने भी राहत की सांस ली है।
पुतला बनाकर बंदरों से बचा रहे खाद्य सामाग्री
जनपद में बंदरों के कारण लोगों के लिए छत पर खाद्य सामाग्री को सूखाना भी इन दिनों चुनौती बन गया है। आए दिन बंदर सामाग्री को उठाकर ले जाते हैं। ऐसे में डीडीहाट के प्रभात जोशी ने बंदरों को भगाने के लिए अपने घर की छत पर पुतला बनाकर रखा हुआ है। पुतला बिल्कुल इंसान दिखाई दे इसके लिए उसे कपड़े, जूते तक पहनाए हुए हैं। कुर्सी में बैठे पुतले के हाथ में बड़ा सा डंडा भी है जिसे देखकर बंदर छत के आसपास नहीं भटकते।
जंगल छोड़ आबादी में डाला डेरा
कभी जंगलों तक ही सीमित रहने वाले बंदरों ने बदलते वक्त के साथ अपना आशियाना बदल लिया है। अब बंदर शहर में डेरा डालकर रह रहे हैं। आवासीय मकानों से लेकर स्कूल की छतों और खेतों में बंदरों का झुंड आसानी से देखा जा सकता है।
उत्तराखंड में एक लाख 10 हजार से अधिक बंदर मौजूद
बंदरों की समस्या से सीमांत जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश भर के अन्य जिलों में रहने वाले लोग भी परेशान हैं। राज्य भर में वर्तमान में एक लाख 10 हजार से अधिक बंदर मौजूद हैं।