चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत के राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र माने जाने वाले न्यिंगची कस्बे का पहला दौरा किया. चीन के लिए यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. अपने पहले दौरे के बाद शी जिनपिंग ने माना कि इस इलाके में विकास कार्यों और स्थायी स्थिरता को सुधारने की जरूरत है. पठारी क्षेत्र में विकास कार्यों को तेज करना जरूरी है.
शी जिनपिंग बुधवार से तिब्बत में ही थे, लेकिन उनकी इस महत्वाकांक्षी यात्रा को चीन के आधिकारिक मीडिया ने संवेदनशील बताते हुए यात्रा के आखिरी दिन, शुक्रवार तक बेहद गुप्त रखा, जिससे किसी भी तरह के कयास न लगाए जा सकें.
बुधवार को शी जिनपिंग ने शहर के कई स्थानों का दौरा करने के बाद भारतीय सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित सीधे न्यिंगची कस्बे के लिए उड़ान भरी. बाद में उन्होंने हाल ही में शुरू की गई हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन से तिब्बत की राजधानी ल्हासा की यात्रा की. चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत की पार्टी और देश के इतिहास में पहली बार शांतिपूर्ण मुक्ति की 70वीं वर्षगांठ के सिलसिले में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का दौरा किया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अपनी यात्रा के दौरान, शी जिनपिंग ने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के दिशानिर्देशों को पूरी तरह से लागू करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एक नए युग में तिब्बत पर शासन करने और पठारी क्षेत्र के लिए स्थायी स्थिरता और उच्च गुणवत्ता वाले विकास का एक नया अध्याय लिखने की जरूरत है.
तिब्बत की धार्मिक स्वतंत्रा खत्म कर रहा है चीन!
चीन पर दूरस्थ और मुख्य रूप से बौद्ध हिमालयी क्षेत्र में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का आरोप है. चीन ने एक बार फिर आरोपों को खारिज किया है. सरकारी प्रसारक सीसीटीवी द्वारा जारी फुटेज में 68 वर्षीय शी जिनपिंग को एथनिक पोशाक पहने भीड़ का अभिवादन करते और न्यिंगची के मेनलिंग हवाई अड्डे पर अपने विमान से उतरते समय चीनी झंडा लहराते हुए देखा गया.
ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध बनाएगा चीन
चीन ने इस साल 14वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी है, जिसने भारत और बांग्लादेश के तटवर्ती राज्यों में चिंता पैदा हो गई है. तिब्बत के स्विट्जरलैंड के रूप में पहचाने जाने वाला न्यिंगची , तिब्बत में एक प्रान्त स्तर का शहर है जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा है.
अरुणाचल प्रदेश पर है चीन की नजर
चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर भी नजर गड़ाए हुए है, जिसे भारत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है. चीनी राष्ट्रपति का यह दौरा ऐसे वक्त में हुआ है, जब पूर्वी लद्दाख में मौजूदा भारत-चीन सैन्य तनाव जारी है.
सीमाओं पर नहीं खत्म हुआ है गतिरोध
भारत और चीन पिछले साल मई की शुरुआत से ही पूर्वी लद्दाख में कई तरह के तनाव से गुजर रहे हैं. दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक वार्ता की एक श्रृंखला के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से सैनिकों और हथियारों को वापस लिया था. दोनों पक्ष अब भी गतिरोध को खत्म करने के लिए कोशिशों में जुटे हैं.
कैसे चर्चा में आया न्यिंगची?
न्यिंगची कस्बा, जून में खबरों में था जब चीन ने तिब्बत में अपनी पहली बुलेट ट्रेन को पूरी तरह से चालू कर दिया था. यह ट्रेन सुदूर हिमालयी क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार के तौर पर देखी जाती है. इसके अलावा इस ट्रेन के जरिए चीनी सेना और हथियारों को भारतीय सीमाओं पर बहुत तेज गति से ले जाने की क्षमता भी बढ़ी है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है.
शी जिनपिंग के दौरे से बढ़ सकता है तनाव
यह ट्रेन तिब्बत की प्रांतीय राजधानी ल्हासा को न्यिंगची से जोड़ती है. इसकी रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा है और यह 435.5 किमी की दूरी तय करने वाली सिंगल-लाइन इलेक्ट्रिफायड रेलवे पर चलती है. ऐसे वक्त में जब, अलग-अलग सीमाओं पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है, चीनी राष्ट्रपति के इस दौरे से तनाव बढ़ सकता है.