46 साल बाद मिला मंदिर, 1978 से बंद था ताला...पास के अवैध अतिक्रमण को हटाया जा रहा
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के संभल मंदिर के पीछे स्थित मकान के अवैध अतिक्रमण को हटाया जा रहा है. इस अतिक्रमण को हटाने के लिए मजदूरों की टीम मकान के अंदर दाखिल हो गई है. इन मकानों के अवैध हिस्सा तोड़े जा रहे हैं. मकानों के बढ़े हुए छज्जे तोड़े जा रहे हैं. इस मकान के कुछ हिस्से को मजदूरों की टीम ध्वस्त कर रही है.
मकान मालिक मतीन ने कहा कि मंदिर के बगल में अवैध निर्माण किया था तो अब तोड़ लिया हूं. मेरा पास इसका नक्शा नहीं था इसलिए तोड़ रहा हूं. बता दें कि इससे पहले एएसपी ने बताया था कि मकान मालिक ने खुद ही अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा है. संभल मंदिर के पीछे अवैध अतिक्रमण में चिह्नित होने वाले मकान मालिक मतीन ने भी कहा था कि मकान का अवैध अतिक्रमण हटाने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. मकान का जो भी हिस्सा आगे निकला हुआ है, उसे हटवाया जाएगा. हमने बच्चों से भी ज्यादा मंदिर का ध्यान रखा है.
बिजली चोरी रोकने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने 1978 से बंद पड़े इस मंदिर को ढूंढा था. इसके बाद 15 सितंबर को इस मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा आरती की गई थी. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के मुताबिक यह कार्तिक महादेव का मंदिर है. यहां एक कुआं मिला है, जो अमृत कूप है. मंदिर मिलने के बाद यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात की गई है. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां जो अतिक्रमण है, उसे हटाया जा रहा है.
अब 46 साल पुराने इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की तैयारी चल रही है. संभल के जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन पता करना चाहता है कि मंदिर और इसकी मूर्ति आखिर कितनी पुरानी है.
हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मंदिर में साल 1978 के दंगों के बाद से ताला लगा था. अब चार दशकों के बाद मंदिर का ताला खुला है. मंदिर में विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ शुरू है, मंदिर के पास स्थित कुंए से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है. आखिर 1978 में संभल में क्या हुआ था?
संभल से पलायन कर चुके लोगों ने हिंदुओं को जिंदा जलाने की आपबीती आज तक के कैमरे पर सुनाई. उनका दावा है कि 1978 में हुए दंगों के बाद ही हिंदुओं का संभल से पलायन शुरू हुआ, लिहाजा डर और दहशत के चलते उन्हें अपने प्राचीन मंदिर पर ताला लगाकर जाना पड़ा था.
कई दशकों के बाद जब मंदिर खुला तो इलाके से पलायन कर चुके तमाम हिंदू यहां दर्शन के पहुंच रहे हैं. उन्होंने आज तक से बातचीत में बताया कि 1978 दंगों ने संभल की आबो हवा में नफरत का जहर घोल दिया. ऐसे में डर के चलते इलाके से हिंदुओं का पलायन शुरू हो गय. जहां मंदिर मिला है, एक जमाने में वहां 45 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब अपने घर बेचकर वहां से दूसरी जगह चल गए. संभल के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय को लेकर भी ऐसी ही आपबीती पलायन करने वालों ने आज तक से सुनाई. उन्होंने बताया कि 1978 के दंगों के बाद संभल हिंदुओं के लिए महफूज नहीं रहा.