रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने देश के उच्च शिक्षित युवा को होने वाली मानसिक परेशानी, तनाव को लोगों के सामने खोलकर रख दिया है. दरअसल एक टीचर ने सिर्फ इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसे कई प्रयास के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली थी. फिलहाल वह अतिथि शिक्षक के रूप में एक स्कूल में पढ़ा रहा था. अपनी असफलता से निराश टीचर ने मानसिक तनाव के चलते स्कूल में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली.
घटना रतलाम जिले की है, जहां रहने वाले 29 वर्षीय अतिथि शिक्षक राजेंद्र पाटीदार ने स्कूल में ही फांसी लगाकर जान दे दी. मृतक के परिजनों ने बताया कि राजेंद्र ने 5 साल पहले स्नातक की परीक्षा पास कर ली थी और तभी से ही वह लगातार सरकारी नौकरी पाने की कोशिशों में जुटा था. कई कोशिशों के बाद भी जब राजेंद्र को नौकरी नहीं मिली तो वह निराश हो गया. फिलहाल वह एक स्कूल में अतिथि शिक्षक के तौर पर नौकरी कर रहा था लेकिन सरकारी नौकरी पाने के जुनून के चलते वह शायद अपनी असफलता को नहीं पचा सका और उसने अपनी जान दे दी.
बता दें कि राजेंद्र ने सुसाइड से पहले अपने परिजनों को कॉल किया था. जिसमें उसने कहा था कि मेरी चिंता मत करना, अब मैं आज से हमेशा के लिए स्कूल में ही रहूंगा और फिर कॉल काट दी. किसी अनहोनी की आशंका से परिजन तुरंत स्कूल की तरफ दौड़े लेकिन तब तक राजेंद्र ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस जांच में पता चला है कि मृतक तनाव में था और इसके चलते उसकी मानसिक और आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. पुलिस को मृतक के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.
हमारे देश में सरकारी नौकरी मान का विषय समझी जाती है. यही वजह है कि उच्च शिक्षित युवाओं में सरकारी नौकरी पाना एक सपना होता है. हालांकि पर्याप्त मात्रा में सरकारी नौकरी ना होने और प्रतिस्पर्धा के बहुत ज्यादा कड़ा होने के चलते युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में युवा तनाव का शिकार हो रहे हैं और इसी तनाव में आत्मघाती कदम भी उठाने से नहीं हिचक रहे हैं.