बैलगाड़ी से किताब बांट रही शिक्षिका, लोग रहे तारीफ

Update: 2022-01-27 05:39 GMT

MP NEWS : अपने अब तक मोबाइल हॉस्पिटल, मोबाइल एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, मोबाइल कोर्ट देखे होगें लेकिन आज हम आपको ऐसी मोबाइल लाइब्रेरी से रूबरू कराने वाले है जो किसी बस, कार या ईंधन से चलने वाले वाहन में नहीं बल्कि एक बैलगाड़ी में चलती है. गांव गांव पहुचने वाला यह बैलगाड़ी पुस्तकालय बच्चों तक पहुंचकर उन्हें किताबें उपलब्ध करवाता है और उनकी घर बैठे पढ़ाई भी करवाता है. बैलगाड़ी में टंगी किताबें और पीछे पीछे चलते बच्चे. ये तस्वीर मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के भैसदेही विकासखण्ड के झल्लार संकुल की है.

यहां रामजी ढाना के प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका कमला दवन्डे का पढ़ाई को लेकर एक नवाचार खूब सराहा जा रहा है. हाल ही में स्कूल बंद हुए तो स्कूली बच्चों तक शिक्षकों की पहुंच कम हो गयी. यही नहीं बच्चों को सरकारी तौर पर मिलने वाली किताबे भी मिलना बंद हो गयी. ऐसे में कमला ने नया जुगाड़ तैयार किया. उन्होंने गांव में ही एक बैलगाड़ी अरेंज की और उसमें किताबें सजाकर पुस्तकालय बना डाला. अब यह बैलगाड़ी पुस्तकालय घर घर जाकर किताबे बांट रहा है.

शिक्षिका का यह पुस्तकालय था तो दो दिन का नवाचार लेकिन इसने बच्चों और उनके पालकों में खासा उत्साह जगाया. बच्चों में बांटने के लिए यह किताबे पिछले सोमवार ही स्कूलों को बच्चों में वितरण के लिए मिली है. रामजी ढाना में 87 बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों तक एक साथ किताबें पहुंचाना कैसे होता. इसके लिए स्कूल के पास न तो कोई वाहन है न पहुंचाने वाले. शिक्षिका कमला के मुताबिक स्कूल में दो शिक्षिका हैं. वे अकेली ड्यूटी पर हैं जबकि दूसरी कोरोना संक्रमण के चलते छुट्टी पर है. ऐसे में इतनी किताबे कैसे ढोई जातीं. तब उन्होंने स्कूल के पड़ोस से 50 रु रोज के किराये पर बैलगाड़ी लेकर इसे पुस्तकालय की शक्ल देकर दो दिनों तक इसे चलाकर किताबे बांटी.

शिक्षिका की बैलगाड़ी पुस्तकालय के अलावा उनकी मोहल्ला क्लास भी खास है. गांव में अलग अलग घरों में यह मोहल्ला क्लास लगती है. जिसका आगाज बड़े अनोखे ढंग से होता है. जिस पालक के घर बच्चों की क्लास लगती है. वह घर की थाली और चम्मच को टकराकर घंटियां बजाता है. इस ताल के साथ मोहल्ला क्लास की शुरुआत होती है. जिसमे कमला बच्चों को पढ़ाई करवाती हैं. कमला ने बताया कि वे हर दिन 5 या 6 मोहल्ला क्लास लगाती हैं. जिसमे कक्षा एक से पांच के बच्चों को पढ़ाया जाता है.

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