भारत में भी तालिबानी सोच! 'लड़कों के साथ न पढ़ें लड़कियां', जमीयत अध्यक्ष अरशद मदनी के बयान पर बवाल

Update: 2021-08-31 09:55 GMT

फाइल फोटो 

नई दिल्ली। जिस तरह से अफगानिस्तान में तालिबान ने लड़कियों पढ़ाई के लिए लड़कों से अलग स्कूल का फरमान जारी किया है उसी तरह की सोच भारत में भी चल रही है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने भारत में समृद्ध मुस्लमानों से बच्चियों के लिए अलग-अलग स्कूल खोलने का आहवान किया है और संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लड़के तथा लड़कियों की एक साथ शिक्षा यानि CoEd की खिलाफत की है। सोमवार को जमीयत उलेमा ए हिंद की दिल्ली में एक बैठक हुई है जिसके बाद इस तरह का बयान जारी किया गया है।

जमीयत की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज में मौलाना अरशद मदनी के बयान को प्रमुखता से छापा गया है जिसमें मौलाना ने प्रभावशाली तथा धनी लोगों से अपील की है कि वे लड़कियों के लिए अपने अपने क्षेत्रों में अलग से स्कूल और कॉलेज खोलें। मौलाना ने यह भी कहा है कि अनैतिकता तथा निर्लजता कोई धर्म नहीं सिखाता क्योंकि इनकी वजह से समाज में दुर्व्यव्हार फैलता है। मौलाना ने गैर मुस्लिमों से भी अपील की है कि वे भी अपनी लड़कियों की पढ़ाई लड़कों के साथ न कराएं ताकि उन्हें अनैतिकता और दुर्व्यव्हार से दूर रखा जा सके। मौलाना ने गैर मुस्लिमों से अपील की है कि अपनी बेटियों के लिए अलग से शिक्षण संस्थान बनाएं।
जमीयत की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में मौलाना अरशद मदनी के बयान के हवाले से मुस्लिमों का धर्म छोड़ना एक बड़ी चुनौती बताया है। मौलाना अरशद मदनी कहते हैं कि मुस्लिमों के अंदर धर्म को छोड़ने का अभियान चलाया जा रहा है जो इस समय सबसे बड़ी चुनौती है और इसकी वजह से मुस्लिम लड़कियों में धर्म छोड़ने वाली लड़कियों की रेश्यो लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा है कि कुछ कट्टरपंथी लोग संगठित होकर गैर मुस्लिम लड़कों को हर संभव सहायता दे रहे हैं ताकि वे मुस्लिम लड़कियों को धर्म छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकें।
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