तालिबान ने एक तिहाई जिलों पर कब्जा करने का किया दावा, लड़ाई छोड़ 300 सैनिक भागे ताजिकिस्तान

तालिबान ने एक तिहाई जिलों पर कब्जा करने का किया दावा

Update: 2021-07-04 18:44 GMT

अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान अफगान सुरक्षा बलों पर भारी पड़ रहे हैं। तालिबान ने एक तिहाई जिलों पर कब्जा करने का दावा किया है। उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान निरंतर बढ़त बना रहा हैं और हर रोज कई जिले उसके कब्जे में आ रहे हैं। यहां तालिबान के खदेड़े जाने के बाद सुरक्षा बल के तीन सौ सैनिक अपने देश की सीमा पार कर ताजिकिस्तान में पहुंच गए।

तेजी से कब्‍जा कर रहा तालिबान
ताजिकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा की राज्य समिति ने तीन सौ अफगान सैनिकों के आने की पुष्टि की है। समिति ने कहा है बदख्शान प्रांत से लगी सीमा से ये सैनिक आए हैं। मानवीयता के कारण इन्हें यहां प्रवेश की अनुमति दे दी गई। अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सेना वापसी की घोषणा के बाद से पूरे अफगानिस्तान में तालिबान निरंतर बढ़त बना रहे हैं। देश के उत्तरी क्षेत्र में उनका तेजी से प्रभाव बढ़ रहा है।
421 जिलों में से तिहाई जिलों पर कब्‍जा
तालिबान का दावा है कि उसने 421 जिलों में से तिहाई जिलों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। प्रांतीय परिषद के सदस्य मोहिब उल रहमान ने कहा है कि उत्तर पूर्व के बदख्शान के कई जिलों को सुरक्षा बलों ने बिना संघर्ष के ही छोड़ दिया। पिछले तीन दिनों में दस जिले ऐसे ही तालिबान ने हासिल किए हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने बिना लड़ाई के जिलों को हासिल करने की पुष्टि की है।
वहीं अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री ने बयान में कहा है कि तालिबान का कब्जा अस्थायी है, उनसे ये जिले जल्द हासिल कर लिए जाएंगे। एएनआइ के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि पिछले 24 घंटों के दौरान अफगान सुरक्षा बलों ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए 143 आतंकियों को ढेर कर दिया। 121 तालिबानी आतंकी घायल हुए हैं।
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के बीच अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता वे 50,000 अफगान सहयोगी हैं, जो 20 साल तक उसकी मदद करते रहे। इनमें बड़ी संख्या में दुभाषिये व अन्य तकनीकी काम करने वाले लोग हैं। तालिबान ऐसे अफगान नागरिकों को लगातार धमका रहा है। अमेरिका इन सभी को मध्य एशिया के तीन देशों में शरण दिलाने की कोशिश कर रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में खतरनाक खेल तेज कर दिया है। गृह युद्ध से जर्जर इस देश में पाकिस्तान अब जिहादियों की नई पौध तैयार करने के काम में जुट गया है। यह बात इजरायल के अखबार यरुशलम पोस्ट ने अपने संपादकीय में लिखी है। लिखा है कि पाकिस्तान पिछले कई दशकों से आतंकियों को प्रशिक्षण, हथियार, धन और खुफिया सूचनाएं मुहैया करा रहा है। ऐसा वह परंपरागत युद्ध में हारने के बाद कर रहा है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकियों को हर जरूरत का सामान मुहैया कराती है। जिन आतंकी-अतिवादी संगठनों को प्रशिक्षण, हथियार, धन और खुफिया सूचनाएं मुहैया कराई जा रही हैं, उनमें तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हैं। 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2019 में पुलवामा में हुए हमले में पाकिस्तान की भूमिका खुलकर सामने आई है। वह आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराता है। जैश सरगना मसूद अजहर इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है।


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