अपने दांतों का रखें ख्याल! अधेड़ से ज्यादा युवा परेशान, हैरान करने वाली खबर सामने आई
दांतों की सफाई पर ध्यान नहीं देना युवाओं पर भारी पड़ रहा है।
देहरादून: दांतों की सफाई पर ध्यान नहीं देना युवाओं पर भारी पड़ रहा है। लिहाजा, बुजुर्गों से ज्यादा युवा दांत निकलवाने अस्पताल पहुंच रहे हैं। यही नहीं, 80 फीसदी माता-पिता भी अपने बच्चों के दांतों की सफाई के प्रति जागरूक नहीं हैं।
ऐसे बच्चे बड़ी संख्या में आ रहे हैं, जिनके दांत खराब हो गए हैं और उनको निकालना पड़ रहा है। दून मेडिकल कॉलेज के दंत रोग विभाग के अध्ययन में यह तथ्य सामने आए हैं। दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश्वरी कृष्णन के मुताबिक, रोज औसतन दस लोग दांत निकलवाने आते हैं।
एक साल में करीब दो हजार से ज्यादा मरीज ऐसे आए, जिनके दांत सड़न-पायरिया या अन्य वजह से खराब हो गए और निकालने पड़ गए। इनमें 60 फीसदी तो 30 से 40 की उम्र के युवा हैं। दांतों की सफाई नहीं करना, तंबाकू सेवन, गलत खानपान दांतों पर दुष्प्रभाव डाल रहा है।
दांतों में कीड़ा लगने या मसूड़ों में समस्या पर समय से इलाज न कराने जैसी वजह सामने आई हैं। शुगर, तनाव, ओरल कैंसर, डिप्रेशन, थायराइड, हड्डी की समस्या भी इसके कारणों में से एक हैं।
दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. कनिका शर्मा के अनुसार, दांतों में सड़न को लेकर हर सप्ताह औसतन 50 बच्चे आ रहे हैं। पिछले एक साल में करीब डेढ़ हजार मरीज आए। पता चला कि 80 फीसदी परिजन बच्चों के दांतों की सफाई को लेकर जागरूक ही नहीं हैं।
बच्चों को छह साल तक बोतल से दूध पिला रहे हैं, पांच साल तक ब्रुश शुरू कराते हैं, बच्चे चॉकलेट-कैंडी ज्यादा खा रहे हैं। पिट एंड फिशर सीलेंट और फ्लोराइड एप्लीकेशन से सड़न से बचाव किया जा सकता है। बच्चों की डाइट काउंसलिंग भी की जा रही है। बच्चों को मीठा खाने से पहले देना है, बाद में नहीं। पहला दांत निकलने से ही ब्रुश कराना शुरू करें, जितना जल्दी हो चम्मच से दूध पिलाएं।
डॉ. योगेश्वरी ने बताया कि दांतों की सड़न को फिलिंग, दांत की भीतरी नस तक सड़न पहुंच जाने पर आरसीटी से बचाया जा सकता है। लेकिन, मरीज देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं। हर दो साल में दांतों की स्केलिंग या क्लीनिंग करानी चाहिए। एक भी दांत निकल गया है तो कृत्रिम दांत लगवाएं।