स्वर्णिम विजय पर्व: राजनाथ सिंह बोले- 1971 के युद्ध ने इतिहास और भूगोल बदल दिया, CDS बिपिन रावत की याद में रक्षा मंत्रालय ने लिया ये फैसला

Update: 2021-12-12 06:26 GMT

नई दिल्ली: 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे 'स्वर्णिम विजय पर्व' को पहले धूमधाम से मनाने की तैयारियां की गई थीं, लेकिन हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 लोगों के निधन के बाद इसे सादगी से मनाने का फैसला लिया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में जानकारी दी.

दिल्ली के इंडिया गेट पर आज से शुरू हुए स्वर्णिम विजय पर्व के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, 'ये आयोजन बहुत ही दिव्य और भव्य रूप में करने का निर्णय हुआ था, मगर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य बहादुरों के निधन के बाद इसे सादगी के साथ मनाने का निर्णय लिया गया है. आज के अवसर पर मैं उन सभी को स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'
उन्होंने हेलिकॉप्टर हादसे में एकमात्र जिंदा बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की हालत के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, 'एयरफोर्स के ऑफिस ग्रुप कमांडर वरुण सिंह का इलाज चल रहा है. मैं लगातार संपर्क में हूं और उनके पिताजी से हमारा लगातार संपर्क बना हुआ है. हम सभी प्रार्थना करते हैं कि वो जल्द ही ठीक होकर आएं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.'


रक्षा मंत्री ने कहा, 'जनरल रावत के निधन से एक बहादुर सैनिक, सलाहकार और जिंदादिल इंसान को खोया है. वो इस विजय पर्व के आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित थे. कई बार इस कार्यक्रम के स्वरूप को लेकर उन्होंने मुझसे चर्चा की थी. इसलिए मुझे उनकी कमी काफी महसूस हो रही है.'
देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों की जान 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में चली गई थी. इस हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जिंदा बच पाए थे, जिनका वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल में इलाज चल रहा है. फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
वहीं, स्वर्णिम विजय पर्व 1971 में हुई पाकिस्तान के साथ जंग में भारत की जीत के 50 साल पूरे होने पर मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 16 दिसंबर को स्वर्णिम विजय वर्ष मनाने की घोषणा की थी. 1971 में 3 दिसंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हुई थी और मात्र 13 दिनों में 16 दिसंबर को भारत ने इस लड़ाई को जीत लिया था. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था. इस जंग में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था.स्वर्णिम विजय पर्व
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