खुद को ईश्वर को समर्पित कर दिया...मौत की सजा को उम्रकैद में बदला...जानें चौंकाने वाला मामला
रेप और हत्या के दोनों दोषियों ने हाई कोर्ट में याचिका फाइल की थी।
भुवनेश्वर: ओडिशा हाई कोर्ट ने रेप और हत्या के एक दोषी की ईश्वर में आस्था और अच्छे व्यवहार को देखते हुए बड़ा फैसला किया है। हाई कोर्ट ने दोषी की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। वहीं उसके एक अन्य साथी को बरी कर दिया है। उसे भी ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। रेप और हत्या के दोनों दोषियों ने हाई कोर्ट में याचिका फाइल की थी। इनमें से एक दोषी आसिफ अली के बारे में जस्टिस एसके साहू और आरके पटनायक की बेंच ने पाया कि जेल में उसका व्यवहार पिछले 10 सालों में काफी अच्छा रहा है।
मनोवैज्ञानिक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आसिफ अली ने खुद को ईश्वर को समर्पित कर दिया है। वह नियमित रूप से इबादत करता है। वहीं जेल के अन्य कैदियों और स्टाफ के साथ उसका व्यवहार बहुत अच्छा है। कोर्ट ने कहा, आसिफ एक दिन में कई बार इबादत करता है और सजा भुगतने को तैयार है। उसने ईश्वर के सामने खुद को समर्पित कर दिया है। वहीं ऐसी कोई घटना भी सामने नहीं आई है जिससे पता चले कि उसमें सुधार नहीं हुआ है।
106 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा, किसी भी अपराध के लिए सजा उससे बड़ी नहीं दी जा सकती। अगर किसी को अपराध से बड़ी सजा दी जाती है तो यह उसी तरह है जैसे कि किसी मासूम को सजा सुनाई गई हो। कोर्ट ने कहा कि 10 साल जेल में रहने के दौरान आसिफ ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे जेल के स्टाफ को दिक्कत का सामना करना पड़ा हो। इसलिए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदला जाता है। वहीं कोर्ट ने दूसरे आरोपी अकील अली को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
आसिफ अली और आबिद अली (याचिकाकर्ता) पर एक 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप था। आरोप था कि जब बच्ची चॉकलेट लेकर अपने घर वापस लौट रही थी तभी उसे जबरदस्ती पकड़ा गया और रेप किया गया। गंभीर चोट आने की वजह से उसकी मौत हो गई। ट्रायल कोर्ट ने दोनों ही आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। वहीं तीसरे एक आरोपी को बरी कर दिया गया था। इसके बाद सजायाफ्ता दोनों दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील की।
हाई कोर्ट ने पाया कि अकील अली के खइलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। केमिल एग्जामिनेशन की रिपोर्ट में पाया गया था कि उसका खून या सीमनपीड़िता के शरीर पर नहीं पाया गया था। वहीं पास में पाई गई शराब की बोतलों पर पाए गए उसके फिंगर प्रिंट से पीड़िता के शरीर पर पाए गए फिंगर प्रिंट मैच नहीं हो रहे थे। उनके वकील ने कहा कि अपराध से पहले ही वह वहां शराब पी रहा था।